और मैं चुदक्कड़ बनती गई

रवि कुमार सिंह

01-01-2024

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इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ का जिक्र है इस कहानी में! मेरे शौहर ने मुझे बांझ कह कर छोड़ दिया. उसके बाद मेरे मायके में मेरी चूत को लंड की लत लग गयी.


यह कहानी सुनें.


फ्रेंड्स, मैं आपको आज तक की सबसे ज्यादा हॉट एंड सेक्सी कहानी बताने जा रही हूँ अपनी इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ की.


मेरी उम्र 26 साल है. मेरा नाम रिहाना है. मैं एक तलाक़शुदा औरत हूँ.


मेरे तलाकशुदा होने का मुख्य कारण यह था कि मुझे बच्चे नहीं होते हैं. मुसलमान औरत को बच्चे ना होना उसका सबसे बड़ा गुनाह माना जाता है.


इसी कारण से मेरे शौहर ने मुझे तलाक़ दे दिया और दूसरा निकाह कर लिया.


तलाक के बाद मैं अपने अब्बू के घर पर रहने लगी. मेरे घर पर मेरे अब्बू और दो भाई जान हैं.


एक बड़े भाईजान हैं और एक मुझसे छोटा भाई है. मेरी अम्मी नहीं हैं वे जन्नतनशीं हो चुकी हैं.


मेरे अब्बू एक ट्रक ड्राइवर हैं. वे हमेशा ट्रक लेकर बाहर निकल जाते हैं. उनके दौर काफी लंबे होते थे तो वे दस बारह दिनों में एक बार ही घर आ पाते थे.


मेरे घर आ जाने से बड़े भाईजान की भाभी जान की साथ रोजाना लड़ाई होने लगी थी. बड़े भाई जान की इसी बात को लेकर अब्बू से भी लड़ाई हो गई थी.


इसी के चलते बड़े भाई और भाभी एक अलग घर में रहने लगे हैं.


छोटे भाई की अभी शादी नहीं हुई है. वह एक यार्ड में मिस्त्री का काम करता है. अब घर में मैं ही अकेली महिला रह गई थी. मैं ही खाना आदि बनाने लगी थी.


रोजाना दोपहर में मैं उसके लिए खाना लेकर यार्ड जाती थी. उधर मेरे छोटे भाई का एक साथी फिरोज मुझे देखता था.


वह मुझे देख कर आहें भरता था तो मैं मुस्कुरा कर उसे न देखने का अभिनय करती हुई अपने भाई को खाना देकर वापस आ जाती थी.


शौहर से अलगाव के बाद मुझे सेक्स का सुख नहीं मिल पा रहा था. इसी वजह से मुझे फिरोज में अपने सेक्स सुख की संभावनाएं नजर आने लगी थीं.


मैं रात को सोते समय फिरोज को याद करके अपने दूध मसलती रहती थी.


एक दिन मैं थोड़ा लेट हो गई. मैं पहुंची, तब तक सब लोग अपने अपने काम पर लग गए थे.


खाना देने के लिए मैं जिस यार्ड के अन्दर गई तो उधर फ़िरोज़ बैठा था.


उसने मुझसे कहा- तुम्हारा भाईजान इधर नहीं … उस तरफ है. मैंने उससे पूछा- किस तरफ है?


वह मुझे उसी तरफ़ ले गया, जिधर उसके अनुसार मेरा भाई मेरा इंतजार कर रहा.


मैं चली गई. उधर कुछ सुनसान सा था तो मैंने फिरोज की तरफ देखा और सवालिया नजर से जानना चाहा कि मेरा भाई किधर है!


उसने जबाव देने की जगह मुझे पकड़ लिया और मेरे बूब्स दबाने लगा.


उसकी ये हरकत एकदम से अप्रत्याशित थी. मैं घबरा गई और मैंने उसको एक जोर का थप्पड़ दे मारा.


उसने मुझे ढील दे दी तो मैं उससे छूट कर अलग हो गई.


वह फिर से मेरे पास आ गया और मुझे पकड़ने की कोशिश करने लगा. मैं उसको गाली देने लगी.


मैंने उससे कहा- रुक साले, मैं तेरी करतूत को अपने भाईजान को बताती हूँ. इस पर वह हंसने लगा और बोला- तेरा भाईजान पता है, कहां है. चल तुझे दिखाता हूँ.


मैं उसकी बात सुनकर चुप हो गई.


वह आगे आगे चलने लगा और मैं उससे कुछ दूरी बनाती हुई उसके पीछे चलने लगी. कुछ दूर चलने के बाद उसने मुझे इशारा किया और बोला- वो देख, तेरा भाई जान क्या कर रहा है!


मैं देखती ही रह गई. मेरे भाईजान नीचे लेटा था और वसीम नामक का उसका दोस्त उसकी गांड मार रहा था.


मैं सीन देख कर एकदम से शर्मिंदा हो गई और वहां से किसी तरह भाग कर घर चली आई. शाम को भाई घर आया, तो उनके आते ही मैंने उसको दो थप्पड़ मारे.


उसने मेरी तरफ हैरानी से देखा कि मैं उसे क्यों मार रही हूँ. उसके चेहरे पर सवाल देख कर मैंने उससे ही पूछ लिया- तुम यार्ड में क्या कर रहे थे?


अभी वह कुछ कहता कि उतने में ही अन्दर वसीम के साथ उसके तीन दोस्त भी अन्दर आ गए. जिसमें फिरोज भी था.


वसीम को घर आया देख कर मेरे भाई ने मुझे अन्दर जाने का कहा और अपने दोनों दोस्तो को आवाज देते हुए कहा- आओ हुसैन भाई और अकरम.


कुछ देर बाद वे सब चले गए.


मैंने कहा- यही वसीम तेरे साथ गंदा काम कर रहा था और अब तूने इसे घर में भी बुलाया है? वह मेरे मुंह से वसीम की बात सुनकर सब समझ गया कि मामला क्या है.


इस बात से वह एकदम से डर गया था. मैं उसको अब और डांटने लगी.


मैं उससे बोली- पहले अब्बू को आने दो, वही तुम्हारी खबर लेंगे. यह सुनकर वह रोने लगा.


मैंने उसको उस रात खाना भी नहीं दिया. फिर अगले दिन वह मेरे पास आया और जोर जोर से रोने लगा.


भाई बोला- आपा, अगर आपने अब्बू को बोला तो मैं कहीं जाकर मर जाऊंगा.


मैं उसकी बात सुनकर एकदम से सहम गई कि ये तो ख़ुदकुशी की बात करने लगा. तो मैं उससे बोली- ठीक है, मैं किसी को कुछ नहीं बोलूँगी. पर आज के बाद तुम वह सब गंदा काम नहीं करना.


वह मेरी बात सुनकर हां में सर हिलाने लगा पर उसने मुँह से कुछ नहीं कहा. कुछ देर बाद वह अपने काम पर चला गया.


इस घटना के बाद मैं कई दिनों तक वहां नहीं गई. मुझे फिरोज की हरकत से भी गड़बड़ लगने लगा था.


हालांकि अन्दर ही अन्दर ये लगता था कि मैंने उस दिन फिरोज को उसकी मनमानी क्यों नहीं कर लेने दी.


तब भी अन्दर एक नारी सुलभ शर्म थी जिस वजह से मैं खुल कर वह सब नहीं कर सकती थी … जो फिरोज मुझसे करना चाह रहा था.


फिर एक दिन फ़िरोज़ मेरे घर आया. उस समय घर पर कोई नहीं था.


उसके खटखटाने पर मैंने दरवाजा खोला. बाहर फिरोज था, वह अपनी बाइक से आया था.


मैं उसे देख कर मुस्कुरा दी. वह बिना कुछ कहे सीधा अन्दर घुसता चला आया.


मैंने बनावटी कड़क आवाज में पूछा- घर क्यों आए हो? उसने मेरे भाईजान के लिए खाना देने की बात कही.


मैं खाना पैक करने लगी. अभी टिफिन बंद ही कर रही थी कि तभी उसने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया और मेरे बूब्स दबाने लगा.


मैं उसको मना करने लगी. मैं उसे प्यार से सब करने के लिए कहना चाहती थी.


तभी उसने मुझे एक जोर का थप्पड़ मारा और अपना फोन खोल कर कहा- देख साली. उसके फोन में मेरे भाई की गांड चुदाई वाली वीडियो थी.


मैं वह वीडियो देख कर काफ़ी डर गई. वह बोला- साली कल इसे मैं नेट पर डाल दूंगा.


मैं कुछ नहीं बोली.


वह आगे बोला- साली, मुझे थप्पड़ मारती है. देख तेरी और तेरे भाई के साथ अब मैं क्या क्या करता हूँ. यह सुनकर मैं और ज़्यादा डर गई.


मैं बोली- ऐसा मत करना फिरोज … प्लीज मेरी बात तो सुनो. मगर वह कुछ भी सुनना नहीं चाहता था.


मैं रोने लगी कि कैसा प्रेमी मिला है, जो मेरी बात ही नहीं सुनना चाहता है.


फिरोज बोला- मेरे साथ तुम वह करो, जो मैं चाहता हूँ. मैं कुछ नहीं बोली.


वह मेरे बूब्स दबाने लगा. मैं चुप रह कर उसके साथ का सुख लेने लगी.


मैंने सोचा कि चलो ऐसे ही सही. फिरोज मुझे चुदाई का सुख तो दे ही रहा है.


कुछ ही देर बाद उसने मेरे सारे कपड़े खोल दिए और मुझे नंगी कर दिया.


मैं अब भी कुछ नहीं बोली और न ही मैंने उसकी किसी बात का विरोध किया.


अब वह फिर से मेरे नंगे मम्मों को दोनों हाथों से दबाने लगा. मम्मों के साथ खेलने से मेरे अन्दर भी वासना की आग भड़कने लगी. मगर मैंने उसका साथ नहीं देने का ड्रामा किया.


कुछ देर बाद वह मेरी चूत में उंगली करने लगा. मैं काफ़ी समय से नहीं चुदी थी. उस कारण से मेरी चूत एकदम कुंवारी लड़की की तरह हो गई थी.


उसकी उंगली चूत में चलने से मुझे दर्द हुआ और मैं कसमसाने लगी. अन्दर से वासना भी चढ़ रही थी तो कुछ ही देर में चूत ने रस छोड़ना चालू कर दिया.


चूत से पानी निकलता देख कर फिरोज भी मेरी चुदास से वाकिफ़ हो गया और अब उसने अपना लंड निकाला और मुझे चुदाई की पोजीशन में करके मेरे अन्दर अपना लंड डालने लगा. चूत कसी होने के कारण उसका मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं जा पा रहा था.


फिर वह खड़ा हो गया और उसने पास में रखी सरसों के तेल की शीशी को लिया और मेरी गांड पर तेल डालने लगा. मैं समझ गई कि ये मेरी गांड मारेगा.


मैं घोड़ी बनी हुई थी. उसने कुछ देर बाद अपना तेल से सना हुआ लंड मेरी गांड के छेद पर टिकाया और एक ही बार में पूरा लंड मेरी गांड में ठांस दिया.


मैं दर्द के मारे जोर जोर से रोने लगी और चिल्लाने लगी. उसको मेरे चिल्लाने से और भी ज्यादा मज़ा आ रहा था.


हालांकि मेरे शौहर मेरी गांड मारते थे तो कुछ ही देर में मुझे गांड मरवाने में मजा आने लगा. उसने भी मुझे जोर जोर से चोदा और में रोने का ड्रामा करती रही.


कुछ देर बाद उसके लंड का पानी मेरी गांड में ही निकल गया. वह मुझे किसे करने लगा और मेरे ऊपर ही लेट गया.


कुछ देर बाद वह बोला- आज मैं जल्दी में हूँ. तुम्हें एक बार चोद कर देखना चाहता था कि तुम कैसी हो. सच में मुझे तुम्हारी गांड मारकर बहुत मजा आया है. अब मैं तुम्हें रोज चोदूंगा.


उसने मेरी एक नंगी अवस्था में फ़ोटो ली और हंसता हुआ टिफिन लेकर चला गया.


उसके जाने के बाद मैं फिरोज के लंड को लेकर खुश होने लगी कि अब उसका लंड मेरी चूत को सुख दे देगा.


अगले दिन मैं खुद खाना पैक करके वहां गई. मैंने अपने भाई को खाना दे दिया और वापस आ रही थी.


मेरी नजरें उस समय फिरोज को ही देख रही थीं मगर वह कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा था. तभी रास्ते में फ़िरोज़ ने मुझे पकड़ लिया और वह मुझे एक कोपचे में ले गया.


उधर उसने मेरी सलवार का नाड़ा ढीला किया और मुझे घोड़ी बना कर जोर जोर से चोदने लगा. आज उसने मेरी चूत में लंड पेला था.


मुझे उसके लौड़े से अपनी चूत की आग ठंडी होती महसूस हुई तो मैं बड़ी खुश थी लेकिन मैंने अपनी खुशी जाहिर नहीं की.


चुदने के बाद मैं घर चली आई.


अगले दिन जब मैं यार्ड गई तो मेरा भाई वहां नहीं था. फिरोज दिखाई दिया, तो मैंने उससे पूछा कि भाई कहां है?


उसने कहा कि तेरा भाई दूसरी जगह गया है. उसे एक सामान लाने भेजा गया है. वह शाम तक वापस आएगा. मैं उसे देख कर हल्की से मुस्कुरा दी.


फ़िरोज़ ने मुझे हैरानी से देखा और हाथ पकड़ कर मुझे एक केबिन के अन्दर ले गया. उधर वह मुझे नंगी करके चोदने लगा. आज मैं भी उसके साथ मजा लेती हुई चुदवा रही थी.


वह जल्दी जल्दी पेलने में लगा था तो मैं कहने लगी- आराम से कर ले ना! वह मुझे गंदी गंदी गालियां देने लगा- साली छिनाल रंडी … बहन की लौड़ी तुझे तो चोद चोद कर सड़क छाप रांड बना दूंगा.


मैं उसकी गालियों से अपने अन्दर खुशी महसूस कर रही थी. औरत जब एक मर्द से चुदते समय गालियां सुनती है, तो उसे अन्दर से खुशी मिलती है.


अब वह मुझे जोर जोर से चोदने लगा. आज उसने मुझे बहुत देर तक चोदा.


फिर वह मेरी चूत से लंड निकाल कर उठ गया और कपड़े पहनने लगा.


तभी उसने किसी को आवाज देकर बुलाया.


उधर से आने की आवाज आई तो मैं डर के कारण फटाफट अपने कपड़े पहनने लगी. तभी वहां वसीम, अकरम और हुसैन आ गए.


वे तीनों मुझे देख कर हंसने लगे. ये तीनों ही उस दिन मेरे भाई के पास घर आए थे और वसीम को तो मैं अपने भाई की गांड मारते हुए देख ही चुकी थी.


मैं उन तीनों को आया देख कर काफ़ी डर गई. तो मैं बोली- मुझे छोड़ दो जाने दो.


वे सब मुझे गंदी गंदी गालियां देने लगे. मैं काफ़ी डर गई.


वे सब मुझे फिर से नंगी करके चोदने लगे.


कुछ देर बाद मुझे चुदने में मजा आने लगा और मैं सेक्स का सुख लेने लगी. हालांकि मैं दर्द के कारण काफ़ी रो भी रही थी क्योंकि उनमें से अकरम का लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था.


उन चारों ने मुझे शाम तक बारी बारी से बार बार चोदा. फिर फ़िरोज़ मुझे घर छोड़ने आया.


मैं घर में चली गई और किसी तरह से अपनी खाट पर जाकर लेट गई.


आज की चुदाई से मुझे बहुत दर्द तो हुआ था, पर एक अजीब सी शांति भी मिली थी. शायद यह पहली बार हुआ था जब मुझे एक दिन में आठ बार चोदा गया था.


आठ बार की चुदाई में और अलग अलग चार मोटे लंडों से चुदवाना कोई हंसी खेल नहीं होता है, कोई भी लड़की आठ बार चुदवा कर बेहोश हो जाएगी और उसकी हालत लस्त हो जाएगी. मगर मुझे न जाने क्यों थकान के साथ साथ एक सुकून भरी ताजगी महसूस हो रही थी.


दोस्तो, यह मैं इसलिए भी बताना चाह रही हूँ कि मेरे शौहर के साथ भी मुझे एक रात में कम से कम दो तीन बार से कम चुदने में शांति ही मिलती थी. मेरे शौहर ने कई बार तो मुझे चोदते हुए यह भी कहा था कि मैं एक रांड हूँ जो मुझे लंड से तीन चार बार चुदने में ही चैन पड़ता है.


खैर … एक दिन में आठ बार चुदवाने से शाम तक मुझे तेज बुखार चढ़ गया था.


भाई काम से लौटा तो मैंने उससे दवा लाने का कहा. वह दवा ले आया.


दवा खाने से मेरी तबियत ठीक तो हो गई लेकिन फिर भी मैं तीन दिनों तक ठीक नहीं हुई. एक तरफ मेरी चूत में दर्द होता रहा था और दूसरी तरफ चूत को लंड लेने की भूख भी थी.


उसी कारण चौथे रोज जब फ़िरोज़ घर आया तो मैंने उससे खुल कर अपनी चूत चुदवाई. वह भी मुझे अपनी रांड समझ कर चोदता रहा.


उसके लंड से चूत की आग ठंडी करवाने के बाद मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया तो वह खुश हो गया.


उसने कहा- आज तो गजब हो गया रिहाना … तू तो लंड चूस रही है. मैंने भी उससे खुल कर कहा- हां, मुझे तू पसंद है.


मेरी इस बात पर उसने मुझे फिर से चोदा और मेरे ही कहने पर उसने मेरी गांड भी मारी. अब मैं फिरोज की रखैल बन गई थी. मुझे उसके दोस्तों से भी चुदने में कोई गुरेज नहीं रह गया था.


एक दिन में यार्ड में फ़िरोज़ से चुद रही थी. तभी भाई ने देख लिया, वह आया तो मैं जल्दी से अपने कपड़े पहन कर खड़ी हो गई.


मेरा भाई फ़िरोज़ से बहस करने लगा. फ़िरोज़ ने उसको उसकी गांड चुदाई की वीडियो दिखाई और कहा- बोल साले … डाल दूँ ये वीडियो नेट पर, चुपचाप चला जा यहां से … नहीं तो नेट पर डाल दूँगा फिर लेते रहियो गांड मरवाने के ऑफर. मादरचोद गांडू साले.


मैं कुछ नहीं बोली.


मेरा भाई चुपचाप फिरोज को मुझे देखता हुआ चला गया.


उस दिन फ़िरोज़ ने मुझे वसीम के साथ मिल कर शाम तक चोदा और मुझे बाइक पर बिठा कर घर छोड़ आया.


उसके बाद फिरोज और उसके दोस्तों को पूरा खुला मौका मिल गया था.


वह मेरे साथ हमेशा ही घर आ जाते और मुझे नंगी करके मेरे साथ सेक्स करने लगे थे.


मुझे भी पूरी नंगी होकर चुदने में मजा आने लगा था. अब तो फिरोज मेरे भाई के सामने ही मुझे पकड़ लेता और मेरे दूध दबाते हुए उसे चिढ़ाने लगता- ओए गांडू … देख तेरी बहन के दूध कितने मस्त हैं.


सब उसे देख कर हंसने लगते और मैं भी बिंदास उन सबसे खुला मजाक करने लगी थी. मुझे अपने भाई के होने न होने से झांट फर्क नहीं पड़ता था.


यार्ड में मैं अपने भाई का खाना लेकर जाती तो मैं सबसे मजाक करने लगती और किसी के साथ भी चुदने लगी थी. बाहर भी सबको मेरे चुदक्कड़ होने का पता चलने लगा था.


एक दिन अब्बू के एक दोस्त को मेरे बारे में पता चला कि रिहाना चुदक्कड़ हो गई है और वह किसी से भी चुदवा लेती है.


वे अगले ही दिन घर पर आए.


मैंने उनके लिए खाना बनाया. वे रात को घर में ही रुकने वाले थे.


फिर जब मैं रात को अपने भाई के साथ सो रही थी, उसी समय अब्बू के दोस्त ने मुझे आवाज़ लगाई.


मैं उनके कमरे में गई, तो उन्होंने मुझे पकड़ लिया.


मैंने उनकी तरफ देख कर पूछा- चचा क्या हुआ? वे हंस कर कहने लगे- लंड खड़ा हो गया है रिहाना, जरा चूस दे.


मैं भी दो दिन से नहीं चुदी थी तो मेरी चूत भी सुलग रही थी. तभी चचा ने अपना लंड बाहर निकाल दिया और मेरे सामने हिलाने लगे.


उनका लंड देख कर मैं हैरान रह गई. साला फिरोज और उसके दोस्तों से भी बड़ा लंड था और काफी मोटा भी था.


मेरी जीभ ललचाने लगी और मैं खाट के नीचे घुटनों के बल बैठ गई और चचा का लंड चूसने लगी.


उस रात चचा ने मुझे तीन बार आगे से पेला और एक बार मेरी गांड भी मारी.


मैं चचा से चुद कर भाई के कमरे में आ रही थी, तभी मैंने भाई को अपने कमरे में वापस जाते हुए देखा. तो मैं समझ गई कि भाई ने मुझे चचा से चुदवाते हुए देख लिया है.


उसी समय मेरे दिमाग की बत्ती जली और मैंने अपनी सलवार खोल कर उतार दी. मैं नंगी चूत लेकर भाई के बाजू में जाकर सो गई.


कुछ ही देर बाद भाई जान मेरी चूत में उंगली करने लगे. मैं कुछ नहीं बोली बल्कि मैंने अपनी टांगें और ज्यादा खोल दीं ताकि वे आराम से मेरी चूत का मजा ले लें.


कुछ ही देर बाद भाई का लंड खड़ा हो गया तो वह मेरी चूत में अपना लंड डालने लगा. मैं लंड घुसवाती हुई सोने का नाटक करने लगी.


वह मुझे चोदने लगा. मैं गांड उठा कर अपने भाई का साथ देने लगी.


कुछ देर बाद उसने मुझे कुतिया बना दिया और मेरी गांड मारने लगा. बीस मिनट बाद भाई ने अपना लंड फारिग किया और लेट कर हांफने लगा.


मैं सो गई.


उसके बाद मैं रोजाना किसी न किसी से चुदने लगी. यार्ड में तो मैं खुद चुदने जाती थी.


अब्बू जान की कई दोस्त भी मुझको घर आकर चोदते थे. वे सब मुझे कुछ न कुछ पैसे भी दे जाते थे, मेरे लिए कपड़े लाते थे.


मुझे भी अब इस इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ में भिन्न भिन्न आकार के लौंड़ों से चुदवाने में मज़ा आने लगा था.


मैं एक तरह से आज़ाद रंडी हो गई थी. मेरे लिए मर्द से सिर्फ चोदने वाले का रिश्ता रह गया था. वह न मुझे भाई समझ आता था और न बाप.


अब तो ऐसा भी होने लगा था कि अब्बू के दोस्त मुझे अपने साथ ट्रक में ले जाने लगे थे. बड़े बड़े शहरों में मुझे घूमने को मिलता और इसके बदले में मैं उनका बिस्तर गर्म कर देती थी.


पहली बार मैं अपने शौहर के अलावा फिरोज से चुदी थी. उस दिन मैं बहुत रोई भी थी. पर आज मेरा एक शौहर नहीं है, अनेकों शौहर हैं और मैं उनसे रोजाना चुदवाती हूँ.


आखिरी बार मुझे दिल्ली में मेरे अब्बू ने भी चोद दिया था. वह किस तरह से हुआ था, उसे मैं बातरतीब आपको अगली सेक्स कहानी में सुनाऊंगी.


आपको मेरी सच्ची इंडियन देसी Xxx सेक्स लाइफ कैसी लगी, प्लीज बताएं. [email protected]


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