एक अनोखी शादी- 1

वालमिक्स

15-10-2021

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लड़के की गांड चुदाई हिंदी कहानी में पढ़ें कि मुझे गांड मरवाने की लत कैसे लगी. मुझे सेक्स के बारे में जानना था तो मैंने एक दोस्त से पूछा. उसने क्या किया मेरे साथ?


दोस्तो, यह एक सच्ची कहानी है, सिर्फ़ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।


इस लड़के की गांड चुदाई हिंदी कहानी में एक लड़का है जिसको लड़कियों में रुचि नहीं थी और वह लड़कों की तरफ आकर्षित होता था। कहानी का दूसरा पात्र एक लड़की है जिसको लड़के पसंद नहीं थे और उसका लड़कियों की ही तरफ रुझान था।


कहानी की खास बात है कि कैसे और किन परिस्थितियों में इनकी शादी हुई, क्या ये शादी चल पायी, अगर हां तो कैसे चली और अगर नहीं तो इसमें क्या मुश्किलें आईं और अब इस शादी के क्या हालात हैं। ये सब आपको इस कहानी में जानने को मिलेगा।


तो तैयार हो जाइये एक अनोखी शादी में शामिल होने के लिए! सबसे पहले लड़के की कहानी जानते हैं जो उसी के शब्दों में आप पढ़ने जा रहे हैं.


सभी फ्रेंड्स को मेरा नमस्कार। मेरा नाम रतन है। मैं उस वक्त 18वें साल की दहलीज को पार कर चुका था। मगर मेरा अभी तक कभी सेक्स का अनुभव नहीं हुआ था।


मेरा एक दोस्त जिसका नाम विनोद है, उस वक्त मेरा बहुत खास था।


एक बार हम दोनों जंगल में सैर के लिए गए हुए थे। मुझे भी सेक्स के बारे में जानने की उत्सुकता थी।


विनोद ने पूछा- तुमने कभी हस्तमैथुन किया है? मैंने पूछा- हस्तमैथुन क्या है?


उसने कुछ बोले बगैर अपनी पैंट की चेन को खोला और लंड को बाहर निकाल कर हिलाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते उसका लंड बड़ा होने लगा और पूरा तन गया।


फिर वो बोला- तू भी करके देख, यही होता है हस्तमैथुन, बहुत मजा आता है इसमें! मैं पहले तो शर्माया, मगर फिर उसके एक दो बार कहने पर मैंने भी लंड को बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा।


उस वक्त हम दोनों का ही लंड 5 इंच के करीब था। हम दोनों ने मुठ मारी और उस दिन पहली बार मेरे लंड से पानी निकला।


बाद में उसने बताया कि यही वीर्य होता है जिसके औरत की चूत में जाने पर बच्चे पैदा होते हैं।


उसके बाद वो बोला- अगली बार मैं तुझे सेक्स करना सिखाऊंगा।


फिर उस दिन के बाद से मैं मुठ मारने लगा और मुझे बहुत मजा आता था इसमें! दिन में मैं दो बार मुठ जरूर मारता था।


अगली बार हम फिर जंगल में गए। वहां जाने के बाद विनोद ने मेरी और अपनी पैंट उतार दी; फिर मेरा लंड हिलाकर खड़ा किया; उसके बाद मेरे लंड पर तेल लगाया।


उसने लेटकर अपने दोनों नितंब हाथों से फैला दिये, विनोद की गांड का छेद दिखने लगा। विनोद बोला- अब इस छेद में अपना लंड डाल और धक्का मार!


मैंने लंड डाला और धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया।


विनोद बोला- इसको चोदना कहते हैं, मज़ा आया? मैंने कहा- हां, मजा तो आया।


अब मेरी गांड मरवाने की बारी थी।


जब विनोद ने मेरी गांड में अपना लंड डाला तो दर्द हुआ। मैंने विनोद को बताया- दर्द हो रहा है तो विनोद थोड़ी देर बिना हिले लेटा रहा।


फिर धीरे धीरे उसने चोदना शुरू किया. मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने कहा- और ज़ोर से कर. विनोद पूरे जोश में चोदने लगा. थोड़ी देर बाद मेरी गांड को उसने अपने वीर्य से भर दिया.


मुझे गांड मरवाने में बहुत मज़ा आया, मुझे अब महसूस हुआ कि गांड मारने में उतना मज़ा नहीं आया था जितना अब मरवाने में आया।


विनोद के माता पिता नौकरी करते थे. उसका घर दिन में खाली रहता था. हम दोनों उसके घर सब कपड़े उतारकर एक दूसरे को चूमते थे. विनोद मेरा निप्पल जब चूसता था तो तब पूरे बदन में सनसनी होती थी.


अब विनोद लगभग रोज मेरी चुदाई करता था. विनोद बोलता था कि एक दिन वो मुझे अपनी बीवी बना लेगा। मन ही मन मैं भी उसको अपना पति मानने लगा था।


एक साल बाद विनोद के पिता का तबादला हो गया. मुझे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला मिल गया. मैं पढ़ाई और फुटबाल खेलने में व्‍यस्त हो गया. विनोद की याद में मैं हस्तमैथुन करता था।


कॉलेज के बाद मुझे एक बड़े शहर में नौकरी मिली. मैंने नये साथी लड़के की तलाश शुरू करने का फ़ैसला किया। मैंने सुरक्षित सेक्स के बारे में इंटरनेट से पढ़ा।


अब तक मैं समझ चुका था कि मुझे लड़कों में ही रुचि है और मैं गे सेक्स ही पसंद करता हूं। इसलिए मैं एक गे वेबसाइट का सदस्य बना.


मैं बॉटम गे (जिन गे लोगों को गांड मरवाने में मजा आता है) लोगों से मिला; उनके एक्सपीरियंस जाने।


उन सबसे मुझे निम्न जानकारी मिली: – मुख मैथुन के समय चॉकलेट वाला कॉन्डोम प्रयोग करना उत्तम है. – गांड में लंड डालने के समय कंडोम और के-वाई जैल का उपयोग करना चाहिए। – बवासीर से बचने के लिए: फल और सब्जी खाना, कब्ज से बचना, खूब पानी पीना. मल त्याग से पहले गांड के छेद में अंदर तक उंगली से तेल लगाना, जिससे ज़ोर न लगाना पड़े। – एनीमा लेकर पूरा छेद साफ करना. गांड के छेद को ढीला करने के लिए बट प्लग कुछ समय तक डालकर चलना. पहले छोटा बट प्लग डालना फिर कुछ दिन बाद बड़ा बट प्लग इस्तेमाल करना. (मुझे बट प्लग मेरे गे साइट के नये दोस्त ने दिया था) – गांड मरवाते समय यदि ऐसा सोचा जाए कि आपके पति आपके अंदर डाल रहे हैं तो बड़ा लंड भी कम दर्द के साथ ले सकते हैं. मज़ा भी खूब आता है.


मेरी तैयारी पूरी हो गई.


मैं एस्स प्लग को घंटों तक लगाए रहता. बस एक पसंद के मर्द की कमी थी. उस समय मेरी उम्र 24 साल की थी. मेरा लंड अब 6.5 इंच लंबा और काफी मोटा हो गया था।


दोस्तो, उस वक्त मैं किराये के घर में रहता था. मेरे ऑफ़िस का एक दोस्त सुनील ढूंढ रहा था. मैंने उससे कहा- मैं अकेला रहता हूं. तुम मेरे साथ रह सकते हो.


वह राज़ी हो गया।


रविवार को हमारी छुट्टी होती थी. शनिवार की रात को हम विस्की पीने बैठे. सेक्स की बात निकली.


सुनील ने कहा कि अभी तक उसने किसी लड़की के साथ संभोग नहीं किया. कॉलेज के समय उसका एक लड़के से प्रेम संबंध था. सुनील ने उसकी गांड बहुत बार मारी थी।


सुनील ने पूछा- रतन अब तुम बताओ। मैंने नशे में बता दिया- स्कूल के दिनों में अपने छोटे से लंड से मेरे दोस्त ने मेरी गांड मारी थी. उसमें मुझे मज़ा आया था.


सुनील हंसकर बोला- तो बड़े लंड से से गांड मरवाकर देखो. ज़्यादा मज़ा आयेगा। फिर सुनील ने गे वीडियो लगाया और हस्तमैथुन करने लगा.


उसका लंड बड़ा और मोटा था, करीब 7 इंच लंबा। मैंने उसे छू कर देखा। फिर रहा नहीं गया और मैंने उसका लंड चूम लिया.


सुनील ने कहा- चूस … ले … यार! मैंने कहा- बिना कंडोम के नहीं!


उस रात हमारा कुछ नहीं हो पाया, बस मुठ मारकर सो गए।


अगले हफ्ते तीन दिन की छुट्टी थी. तय हुआ कि तब कोशिश होगी. यदि दोनों को मज़ा आया तो संबंध कायम रखेंगे.


मैं कंडोम और के-वाइ जैल काफ़ी मात्रा में लाया. रोज ऑफ़िस से आने के बाद बड़ा एस्स प्लग चार-पाच घंटे लगाकर रहता.


मैंने हवा से फूलने वाला ( इनफ्लेटबल) बट प्लग भी लगाकर उसका मज़ा लिया।


एक लड़की की चुदाई के लिए तैयारी से कहीं ज्यादा मुश्किल लड़के की चुदाई की तैयारी होती है।


फिर तय दिन मैंने शेव किया, दाढ़ी और बगल के बाल साफ किए. शाम को एनीमा लिया. एक बड़े बट प्लग में के-वाइ जैल लगाकर अपने छेद में घुसा लिया।


सुनील रोमैंटिक मूड में था. हमने थोड़ी विस्की पी.


सुनील ने एक साड़ी देकर कहा- पहन लो और इसके अंदर कुछ मत पहनना. साड़ी पहनाने के बाद सुनील ने मेरी माँग में सिंदूर लगा दिया.


फिर वो बोला- आज से तुम मेरे लिए रतन नहीं, रति हो! मैंने पैर छूकर सुनील को प्रणाम किया।


मैं मानसिक तौर पर नारी बन गया (ऑफिस में मैं लड़कियों जैसे कोई हाव भाव नहीं रखता हूं।)


सुनील कुर्ते पाजामे में अच्छा लग रहा था. उसने मेरे होंठ चूम लिए और मैंने उसे गले लगा लिया।


फिर हमने खाना खाया।


सुहागरात की कहानी अब मैं नारी बनकर बताऊंगा:


मैं सुहाग-सेज पर घूंघट ओढ़कर पलंग पर बैठ गयी. सुनील अंदर आया, मेरा घूंघट उठाया और मेरे होंठ चूमने लगा.


हम दोनों कुछ देर एक दूसरे को चूमते रहे। सुनील ने प्यार से मेरी साड़ी मेरी कमर तक हटा दी.


अंदर मैंने कुछ नहीं पहना था, मैंने नारी सुलभ लज्जा से अपने स्तन अपने हाथों से छुपा लिए।


सुनील ने मुझे लिटा दिया, मेरे हाथ मेरे स्तनों से हटा दिये. वह बारी बारी मेरे एक स्तन को दबा रहा था, दूसरे स्तन को चूस रहा था.


मैं उत्तेजना के मारे छटपटा रही थी.


अब सुनील ने अपना कुर्ता उतारा और मुझे आलिंगन में ले लिया. उसका खड़ा लंड मैं महसूस कर रही थी, उसका लंड मेरे बदन को छू रहा था।


उसने प्यार से पूछा- क्या तुम आगे बढ़ने के लिए अब तैयार हो? मैंने हां में सिर हिला दिया.


सुनील पलंग से उतरकर कंडोम पहनने लगा.


मैं बोली- मैं बाथरूम से होकर आती हूं. बाथरूम में मैंने अपना एस्स प्लग निकाल दिया।


मेरे वापस आने के बाद सुनील ने मेरी साड़ी उतार दी. अब मैं पूरी तरह नग्न हो गयी थी.


सुनील ने मुझे पीठ के बल लिटा दिया. उसने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया. मुझे अपने पैर अपनी छाती की तरफ करने को कहा.


अब मेरे प्यार का छेद मैं सुनील को समर्पित करने के लिए तैयार थी।


अब उसने उंगली में के-वाई जैल लेकर मेरे छेद में लगा दिया। मैं लड़की से औरत बनने की पीड़ा और आनंद का इंतजार कर रही थी.


उसने अपना खड़ा लंड मेरी गांड के छेद में लगाया और एक धक्का दिया. मेरी गांड में जोर का दर्द हुआ जिससे मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे। मगर चेहरे पर मुस्कान डटी रही।


एस्स प्लग का कमाल था जो मैं वो लंड अंदर ले पाई।


सुनील ने थोड़ी देर मेरे होंठ चूमे. फिर उसने एक और धक्का दिया. उसका पूरा लंड मेरे छेद में समा गया। मेरा प्यार का छेद फैल गया.


मुझे संपूर्णता का आनंद मिल रहा था. सुनील ने मेरे पैर अपने कंधे पर रखे और धीरे धीरे मुझे चोदने लगा.


मुझे जो आनंद मिल रहा था उसका वर्णन शब्दों में कहना कठिन है; वो गांड मरवाकर ही अनुभव किया जा सकता है.


सुनील ने मुस्कराकर पूछा- मज़ा आ रहा है? मैंने कहा- बहुत! मैंने सुनील से पूछा- और तुमको? उसने कहा- बहुत मज़ा आ रहा है।


फिर सुनील ने मुझे पेट के बल लिटा दिया। मैंने अपने नितंबों को अपने हाथों से फैला दिया. सुनील लंड को मेरी गांड में घुसाकर मेरे उपर लेट गया. कभी धीरे तो कभी ज़ोर से मुझे चोदने लगा.


वो थोड़ी देर रुकता और फिर चोदता.


हमारी चुदाई करीब आधे घंटे चली. परम सुख से मैं झड गयी. हाथ लगाए बिना सुनील भी कंडोम में झड़ गया।


सुनील ने पूछा- दर्द हो रहा है क्या? मैंने सिर हिलाकर हाँ कहा.


सुनील ने मेरे छेद में बोरोलीन को अंदर तक लगा दिया उंगली से और बोला- अब चलो सो जाते हैं.


मैंने कहा- मुझे लग रहा था कि मैं एक घोड़ी हूं और मेरा घोड़ा मुझे चोद रहा है। वो बोला- हां, मैं तेरा घोड़ा ही हूं मेरी जान!


उसके बाद हम दोनों लिपट कर सो गए।


सुबह हुई और नहा-धोकर हमने नाश्ता किया। फ्री होने के बाद सुनील ने कहा- क्यों मेरी घोड़ी … तैयार हो क्या फिर से? मैं बोली- हां, मैं तैयार हूं तुम्हें चढ़वाने के लिए!


मैं पलंग के किनारे घोड़ी के समान हाथ और घुटनों के बल खड़ी हुई और सुनील ने फर्श पर खड़े होकर मेरी गांड में अपना लंड डाल दिया। वो मेरी कमर पकड़कर जोरदार चुदाई करने लगा।


उसके धक्के से मैं हिल रही थी. लग रहा था मैं सच में घोड़ी हूं और मेरा घोड़ा मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है. थोड़ी देर बाद मैं झड़ गयी.


लंबी चुदाई के बाद सुनील भी कंडोम में झड़ गया.


अगले दो दिन हमारी छुट्टी थी. दिन रात कभी भी किसी भी समय हम संभोग करते रहे. मैंने उसका लंड चॉकलेट वाला कंडोम लगाकर कई बार चूसा. हमने विभिन्‍न आसनों में संभोग किया. हम दोनों बहुत खुश थे।


अगले शनिवार को हमने फ़ैसला किया कि आज रात हम शादी का जश्न मनाएंगे, खूब बातें करेगे। हमने काफ़ी शराब पी ली।


मैंने सुनील को वह सब कुछ बताया जो जो मैं करता था सेक्स को सरल बनाने के लिए।


मैंने उसको भी वही सब करने के लिए बोला ताकि साफ-सुथरा सेक्स हो सके। उसको एस्स प्लग के बारे में भी बताया लेकिन उसको उसकी कोई जरूरत नहीं थी।


बातों बातों में मैंने सुनील से पूछा- तुम्हें कोई नई लड़की या लड़का पसंद आया क्या? सुनील बोला- तुम्हारे साथ संभोग से जो स्वर्गीय अनुभूति और परम आनंद की प्राप्ति होती है उसके रहते मुझे और किसी की ज़रूरत नहीं है।


मैंने सुनील को उसकी कपोल कल्पना (फेन्टेसी) के बारे में पूछा. सुनील ने बताया कि वह कभी कभी पड़ोस की भाभी की गांड मारने की कल्पना में हस्तमैथुन करता है. सुनील रंडी की गांड मारने की भी कल्पना करता था।


अब सुनील सेक्स के समय बोलता था- हमारी शादी हो गई है, कंडोम की क्या ज़रूरत? मैं यौन रोगों से डरता था.


हम दोनों ने फ़ैसला किया कि त्वचा और यौन रोगों के डॉक्टर से सलाह लेंगे और उसके बाद ही बिना कॉन्डोम के सेक्स करेंगे।


खून और मूत्र की जाँच करने के बाद डॉक्टर ने हमें बताया कि दोनों को कोई यौन रोग नहीं है। अब हम बिना कंडोम के संभोग करने लगे।


मुख मैथुन के समय सुनील मेरे मुंह में लंड डालकर चोदता। मैं उसका पूरा वीर्य पी जाता. वीर्य में काफ़ी प्रोटीन और विटामिन होते हैं.


बहुत बार हम एक दूसरे का लंड 69 आसन में एक साथ चूसते थे और एक दूसरे का वीर्य पी जाते थे।


पुरुष को भटकने से रोकने के लिए उसके कल्पना के किरदार में अभिनय करना (रोल प्ले) एक अच्छा उपाय है. मैंने पड़ोस की भाभी की फोटो ले ली मोबाइल पर … उनके जैसे कपड़े, क्रत्रिम आभूषण, बड़ी बिंदी और विग मैंने खरीद ली।


हमारे बेडरूम में कंप्यूटर था. एक शाम मैंने सुनील को कहा कि वह बेडरूम में दरवाजा बंद करके बैठे. उसके लिए आधे घंटे में एक सुन्दर उपहार आएगा।


मैंने भाभी जैसे कपड़े पहने, कृत्रिम आभूषण डाले, बड़ी बिंदी और विग से भाभी का रूप ले लिया. थोड़ा मेक अप भी किया।


आईने में देखा तो मैं भाभी बन गयी थी.


फिर मैंने बेडरूम के दरवाजे पर दस्तक दी. सुनील ने जब दरवाजा खोला तो वह अवाक् हो गया।


मैंने इठलाते हुए कहा- भाई साहब, मुझे कंप्यूटर सीखना है. सुनील ने मुझे कुर्सी पर बैठाया और सिखाने लगा।


सिखाने के बहाने वह कभी मेरा गाल, तो कभी स्तन छूने लगा. मुझे लग रहा था कि मैं सचमुच भाभी ही हूं और सुनील मुझे पटा रहा है.


उस रात मेरी दो बार धुआंधार चुदाई हुई. दोनों को बहुत मज़ा आया.


उसके बाद ऐसा हमने कई बार किया।


एक बार मैंने रंडी का रूप लिया। सुनील ने मुझे रुपये दे दिए. फिर मुझे पटक पटककर चोदा. मेरी गांड पर ज़ोर ज़ोर से बेल्ट से मारा. मेरा बदन दुख रहा था.


सुबह मैंने सुनील को कहा- इतनी ज़ोर से मारेगा तो यह रंडी फिर कभी नहीं आयेगी. सुनील ने वादा किया कि वह धीरे धीरे हथेली से या फुट पट्टी (स्केल) से मेरी गांड पर मारेगा। उसे वह गांड बजाना कहता था.


इस तरह हमने रंडी का नाटक कई बार खेला।


अब नियमित मेरे स्तन चूसे और दबाए जाने के कारण थोड़े बड़े हो गये थे. एक नवयौवना के स्तनों की तरह उनमें उभार आ गया था।


हमें पति पत्नी के समान रहते हुए दो साल हो गये थे. हम दोनों बहुत खुश और संतुष्ट थे.


एक शाम सुनील जब घर वापस आया तो वह चिंतित था. उसने बताया- रति, बुरी खबर है. कंपनी में कर्मचारियों की छटनी हो रही है और नौकरी पर खतरा आ गया है। ये सुनकर मुझे भी धक्का लगा।


अब हम दोनों ने सुनील के लिए नौकरी ढूंढ़नी शुरू की। सुनील को हमारे शहर में नौकरी नहीं मिली. मगर दूसरे शहर में नौकरी मिली.


अब जुदाई का समय आ गया था.


सुनील चला गया.


मुझे दिल ही दिल में मालूम था कि एक दिन यह होगा. सुनील से फोन पर बात होती रही. फिर सुनील की शादी हो गयी।


एक महीने बाद सुनील का फोन आया. वो बोला- एक सलाह चाहिए। मेरी बीवी गांड मारने नहीं देती, क्या करूं? मैंने कोशिश तो की थी लेकिन मेरी बीवी को बहुत दर्द हो गया था।


मैंने सुनील को बताया कि एस्स प्लग डालकर कैसे छेद ढीला किया जाता है. उसको बवासीर से बचने का उपाय और एनीमा के लिए भी कहा।


कुछ दिन बाद सुनील का फोन आया कि उसने बीवी की गांड मारी, दोनों को मज़ा आया। उसने धन्यवाद कहा मुझे।


मेरे माता पिता अब मेरी शादी की चर्चा भी करने लगे थे.


इसके आगे फिर क्या हुआ वो आप अगले भाग में पढ़ सकते हैं। कहानी के बारे में अपनी राय देना न भूलें। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। आप इस ईमेल पर मैसेज करके अपनी राय जरूर बतायें। [email protected]


लड़के की गांड चुदाई हिंदी कहानी का अगला भाग: एक अनोखी शादी- 2


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