इस तरह मैं गांडू बन गया

सुरेश जैन

23-06-2023

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टॉप बॉटम सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं पहले स्ट्रेट था. एक दिन सिनेमाहाल में एक लड़का मेरे पास बैठा था, मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगा. मैं कामुक हो गया और मुझे सेक्स चढ़ गया.


दोस्तो, यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. मैं सुरेश हूँ और मेरी उम्र 32 साल है. आज से 5 साल पहले ऐसा कुछ हो गया था कि मुझे गांड मारने की आदत पड़ गई थी.


पहले मैं सामान्य रूप से सेक्स पसंद करता था. मुझे लड़कियों में बहुत दिलचस्पी थी. पर एक दिन जब मैं सिनेमा हॉल में एक बी ग्रेड मूवी देखने गया तो वहां पर मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ जिस पर मैं भरोसा ही नहीं कर पाया और मुझे समलैंगिक संभोग क्रिया की आदत पड़ गई.


उस दिन सिनेमा हॉल में मेरे बाजू में एक लड़का बैठा था. वह फिल्म के चालू होने पर मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगा जिससे मैं कामुक हो गया और मुझे सेक्स चढ़ गया. धीरे धीरे उसके हाथ मेरी जांघों से होते हुए कब मेरे लंड के ऊपर आकर सहलाने लगा, मुझे पता भी नहीं चला.


अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं अतिउत्तेजित होता जा रहा था. मेरे तन-बदन में एकदम चुदास भर चुकी थी और मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.


सिनेमा हॉल में अंधेरा था; मैं उस लड़के की शक्ल तक सही से नहीं देख पा रहा था. मेरा मन अब सेक्स करने को हो रहा था. वह लड़का भी धीरे धीरे और आगे बढ़ने लगा.


तभी अचानक से उसने मेरे कान में कहा- पीछे चलो. ये कह कर वो उठ गया और जाने लगा.


मैं उसके पीछे पीछे चला गया.


कुछ ही पलों बाद एक कोने में हम दोनों खड़े हो गए थे. वह मुझे किस करने लगा.


मैंने उसे रोका, पर वह रुक ही नहीं रहा था.


यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था कि मैं किसी लड़के के साथ कुछ ऐसा कर रहा था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ … पर मुझे यह सब अच्छा लगने लगा.


अब मैंने उसे रोका नहीं. उसने मेरी पैंट को खोल दिया और अंडरवियर को नीचे उतार कर मेरे लंड से खेलने लगा.


वह घुटनों के बल बैठ गया और मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा. मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था. ऐसा लगने लगा था … जैसे मैं धरती पर नहीं बल्कि आसमान में उड़ रहा हूँ.


वह बड़ी ही शिद्दत से मेरा लंड चूस रहा था. कभी वह मेरे टट्टों को मुँह में लेकर चूस रहा था, तो कभी पूरे लौड़े को जीभ से चाट कर उसमें सनसनी भर रहा था.


सच में ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैं भी उसके मुँह को अपने लंड से खूब चोद रहा था.


अब उसने अपना पैंट खोला और गांड मेरी तरफ करके झुक गया. मैं कुछ नहीं समझा कि क्या करना है.


तभी वह धीमी आवाज में बोला- खड़ा क्यों है चूतिया, डाल ना मेरी गांड में! मैं फिर भी कुछ समझ नहीं पा रहा था कि ये करने को कह रहा है.


यह सब मेरे लिए पहली बार था; मैं यह सब करने के लिए अभी तैयार नहीं था.


उसने फिर से कहा- डालो जल्दी से मेरा मूड बन गया है. ये कह कर उसने अपनी गांड को थोड़ी और ऊपर कर दिया.


फिर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी गांड के छेद पर रखकर कहा- ज़ोर से धक्का दो. वह जैसे-जैसे बोल रहा था, मैं वैसे करने लगा.


मैंने झटका दिया तो मेरा पूरा लंड उसकी रसीली सी गांड में घुसता चला गया.


वह धीमे से आह बोला और कहने लगा- जल्दी जल्दी अन्दर बाहर कर! उसे यह सब कुछ अच्छा लग रहा था.


मेरे लंड को भी उसकी गांड की गर्मी से मज़ा आ रहा था. मैं एक हाथ से अपनी शर्ट को ऊपर उठाकर उसकी गांड मारने लगा.


कुछ ही मिनट ऐसे ही करते-करते खेल शुरू हो गया. मैंने अपनी शर्ट को ऊपर उठाकर कुछ कस दिया ताकि वो ऊपर ही उठी रहे.


फिर मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी कमर पकड़ी और दे दनादन उसकी गांड मारने लगा.


कुछ 15 मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी और अब मेरा लंड छूटने कोप हो गया था. मुझे बेहद मजा आ रहा था.


मैं भूल चुका था कि मेरा लंड किसी की गांड में घुसा है या चूत में घुसा है. मैं बस धकापेल करता गया और जैसे ही मैं चरम पर आया, मैंने आह आह करते हुए अपने लंड से पानी छोड़ना शुरू कर दिया. उस वक्त मैंने अपना पूरा लंड उसकी गांड में ही पेल रखा था.


कुछ ही देर में सारा रस उसकी गांड में भर गया था.


अब वह हुआ … जो मैंने कभी सोचा नहीं था, वो होने लगा था.


मैं अपना लौड़ा उसकी गांड से निकाल कर अपनी पैंट में अन्दर करके जाने लगा तो उसने मुझे रोका.


वह बोला- जा कहां रहा है? मैंने कहा- हो तो गया … अब मैं जा रहा हूँ. मुझे फिल्म देखना है.


वह बोला- रुक तू, अभी कुछ नहीं हुआ. अब मेरी बारी है.


अब वह अपना लंड मेरे मुँह में देने लगा. वह बोला- चूस मेरा. मैंने उसे मना किया.


उसने मुझसे कहा- क्या खाली मज़ा ही लेना जानता है. मज़ा देगा नहीं क्या? मैंने कहा- नहीं, मुझे यह सब नहीं करना है.


उसने कहा कि यदि तूने नहीं किया, तो मैं अभी चिल्ला कर सबको बता दूँगा कि तूने मेरे साथ क्या किया?


उसने मुझे धमकाते हुए ये सब कहा तो मैं डर गया. अब मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था.


मैं बहुत ही ज्यादा डर गया था इसलिए जो कहा गया था, मैं उस काम में लग गया. उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया था और वो अपने लौड़े को मेरे मुँह में आगे पीछे करने लगा था. मैं भी न जाने किस झौंक में उसका लंड मजे से चूसने लगा था.


वो ये देख कर और मस्ती से अपना लंड मेरे मुँह में आले तक पेलने लगा था और मेरे मुँह को अपने लौड़े से चोदने लगा था. कुछ देर तक मेरे मुँह की चुदाई करने के साथ ही उसने झुक कर मेरी पैंट फिर से खोल दी.


अभी मैं कुछ समझ पाता, तब तक उसने अपने मुँह से लौड़ा निकाल कर मुझे घूम कर घोड़ी बना दिया और मेरी गांड के छेद पर अपना लौड़ा लगा दिया.


मैं उससे छूटने की कोशिश करने लगा लेकिन उसने अपना लंड मेरी गांड के होल में डाल दिया.


मुझे बहुत ज़ोर से दर्द हुआ और मेरी आंखों से आंसू निकल आए. मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन उस मरदूद ने मेरे मुँह पर अपने हाथ का ढक्कन लगा दिया था.


अब मैं बेबसी के आलम में अपनी गांड मरवा रहा था. मुझे कुछ देर दर्द हुआ और उसके बाद मुझे लज्जत मिलने लगी.


उसने भी अपना हाथ मेरे मुँह से हटा दिया और मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर मेरी गांड मारने लगा.


उसने दस मिनट तक मेरी ऐसी ही गांड चुदाई की और मेरी गांड में अपना माल डाल दिया.


इस तरह मैंने पहली बार अपनी गांड चुदाई करवाई थी. जो मुझे गांड मरवाते समय तो बड़ी अच्छी लगी थी, लेकिन बाद में जब मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था, तब मुझे इस गांड चुदाई के कार्यक्रम से चिढ़ सी होने लगी थी.


चुपचाप जाकर मैं अपनी सीट पर बैठ गया और पिक्चर ख़त्म होने के बाद अपने घर चला गया.


मैं रात भर अपने साथ क्या हुआ, वही सोचता रहा. गांड में परपराहट हो रही थी तो छेद में एन्टीबायोटिक क्रीम भरी और बर्फ से सिकाई भी की.


दो गोली पेन किलर की भी खाई और एक गोली नींद की भी खाई. किसी तरह रात को दो बजे नींद आ सकी थी.


फिर जब सुबह उठा तो मुझसे चला नहीं जा रहा था. मैं फ्रेश होने गया तो मुझसे हगा नहीं जा रहा था.


सच में दोस्तो … मेरे साथ जो हुआ था, वो मैं किसी को बता भी नहीं पा रहा था.


इस गांड की चुदाई के बाद मुझे ये समझ में आया कि गांड मारना आसान है, पर गांड मरवाना आसान नहीं है. उस दिन सारा दिन यूं ही गांड सहलाता रहा और उस मादरचोद को कोसता रहा.


मगर शाम होते होते मुझे अपनी गांड में खुजली होने लगी. मैंने सब ट्राई किया पर कुछ फ़र्क नहीं पड़ा.


अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था कि ऐसा क्या करूँ, जिससे मेरी गांड की खुजली शांत हो जाए. बस ऐसा लगा रहा था कि गांड में कोई कीड़ा घुस गया है जो काट रहा है.


मेरी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था. थोड़ी देर बाद मन में आया कि क्यों न आज फिर से फिल्म देख आता हूँ.


मैं वापस उसी सिनेना हॉल में जाकर टिकट लेकर बैठ गया. मुझे अपनी गांड की खुजली मिटानी थी.


आज सब अपने आप हो रहा था. मेरा खुद पर कंट्रोल नहीं था. आज मेरी नजर खुद ही किसी अच्छे मर्द की तलाश में थी टॉप बॉटम सेक्स के लिए!


कुछ देर बाद वो तलाश पूरी हुई जब एक मेरी उम्र का लड़का मेरे पास आकर बैठ गया.


मैंने उससे हैलो कहा और उसका नाम पूछा. उसने कहा- नावेद ख़ान. हम दोनों बात करने लगे.


थोड़ी देर बाद फिल्म स्टार्ट हुई और अंधेरा हो गया. मैं और नावेद पास पास ही बैठे थे.


आज मेरा मन कुछ अजीब सा बर्ताव कर रहा था. मेरे हाथ कब नावेद की जांघों से होते हुए उसके लंड पर चले गए, पता ही नहीं चला.


नावेद भी मस्त था दिखने में! वह मस्त ना भी दिख रहा होता तो मुझे बस ये लग रहा था कि कोई भी मर्द का बच्चा पट जाए.


आज मेरे अन्दर एक चुदासी लड़की समा गई थी. नावेद ने मेरे हाथ को अपने लौड़े पर महसूस किया और उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने निक्कर में डाल कर कहा- ले पकड़ ले मेरा. आराम आराम और प्यार से कर भोसड़ी के गांडू.


उसने मुझसे गांडू कहा तो मुझे अजीब सा सुख मिला कि आज नियति ने मुझे उस संज्ञा से सजा ही दिया जिसके बारे में लोग अक्सर अपनी गालियों में चर्चा करते हैं.


नावेद का लंड बड़ा भी था और मोटा भी था. मुझे बस ये लग रहा था कि किसी तरह ये मेरी गांड में घुस जाए.


कुछ देर लंड सहलाने के बाद नावेद ने कहा- चल पीछे चलते हैं. उधर कोने में मस्त जगह है, वहां करेंगे. मैं भी झट से किसी चुदासी लड़की की तरह उसके पीछे पीछे चली गई.


उधर जाकर मैंने नावेद के साथ वही सब किया जो कल मेरे साथ हुआ था.


मैं घुटनों पर बैठ गई और उसके लौड़े को उसकी पैंट से बाहर निकाल कर चूसने लगी. बड़ा ही मस्त महसूस हो रहा था. उसके लौड़े से आने वाली महक मुझे बेहद कामोत्तेजित कर रही थी.


कुछ देर चूसने के बाद मैंने नावेद का बड़ा सा सर कटा लंड अपनी गांड में ले लिया और मैंने अपनी गांड की खुजली मिटवा ली.


वह मेरी कमर पकड़ कर धकाधक मेरी गांड मार रहा था. मेरी गांड की खुजली मस्त मिट रही थी. ऐसा लग रहा था कि बस ये लंड मेरी गांड में अन्दर बाहर होता ही रहे.


कुछ देर बाद नावेद ने अपना रस मेरी गांड में छोड़ दिया. वह एक टॉप था तो उसने मेरी गांड मारने के बाद अपनी पैंट पहनी और मेरी गांड थपथपा कर सीट पर वापस आने की कह कर चला गया.


उसके बाद से मैंने नावेद से कई बार अपनी गांड मरवाई और उसने मेरी गांड के लिए दो और लंड भी अरेंज किए.


अब मुझे पता चल गया था कि मैं एक गे हूँ और मुझे लड़के पसंद आते हैं.


अब तो मैं रोज नए नए लड़कों से अपनी गांड मरवाता हूँ और उनके लौड़ों से अपनी गांड की खुजली मिटवा लेता हूँ.


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