चार गे दोस्तों ने एक गर्लफ्रेंड की चूत चोदी

काम देव प्रधान

18-09-2023

0

देसी लड़की की चूत मारी हम तीन दोस्तों ने. हम चार दोस्त हैं पर एक को गांड मरवाने का शौक है. जब तक हमें चूत नहीं मिली थी तब तक हम एक दूसरे की गांड मारते थे.


दोस्तो, यह सेक्स कहानी हम चार दोस्तों के युवा जीवन पर आधारित है कि उस वक्त हम चारों किस तरह से सेक्स की मस्ती करते थे. हम चार दोस्त एक ही कक्षा में पढ़ते थे. एक साथ खेलते, साथ साथ नहाते खाते. रात को एक कमरे में पढ़ाई करते, सोते थे. हम चारों अच्छे दोस्त थे. एक दूसरे के सहयोगी, हितैषी थे. चारों पढ़ाई में अव्वल लेकिन हॉट शॉट माल.


हम दोनों मिडिल की कक्षा से ही बिगड़ गए थे, चुदाई की बात करने लगे थे और गाय बैल, कुत्ते कुतिया की चुदाई बहुत मजा लेकर देखते थे. तालाब के घाट का नजारा देखने के लिए हम चारों उधर नहाने के लिए जाते और सामने के घाट में नहाती स्त्रियों पर हमारी देर तक नजरें टिकी रहतीं.


गांव की कुछ स्त्रियां साड़ी पहन कर नहाती थीं. जब वे नहाकर निकलतीं, तो उनके बदन पर गीली साड़ी चिपकी होतीं यानि सब पारदर्शी. उनके दूध, जांघ, चूत सब दिखती थी. हम चारों आंखें गड़ा कर देखते.


नहाने के बाद वे साड़ी के एक भाग को निचोड़ कर साड़ी को पलट कर पहनतीं , फिर गीले भाग को निचोड़ कर कंधे पर डालतीं. साड़ी को पलटते समय उनके सामने का पूरा नंगा बदन सामने वाले को दिख जाता. शायद उन्हें नहीं लगता था कि ऐसे दिख जाता होगा.


स्त्रियों की नंगी देह की यही एक झलक पाने के लिए हम स्त्री घाट के सामने वाले घाट में नहाते रहते थे.


हम नहाने के पहले कुछ देर ये सीन देखने के लिए सामने निहारते रहते. उनकी जांघ, दूध या कभी गांड दिख जाती, तो लंड खड़ा हो जाता और ये सब देख कर हमें बहुत अच्छा लगता था. हम अपने हाथों से अपने लौड़े सहला कर मजा लेते.


उन स्त्रियों में कौन किसकी रिश्तेदार है, यह हम ध्यान नहीं देते थे. उस वक्त तो मन में ये भाव रहता था कि सामने वाली जो भी हो, हमें बस उसकी नंगी देह देखने को मिलना चाहिए.


मेरा दोस्त अनिल उर्फ अनु मेरे चारों दोस्तों में से एक मेरा ज्यादा प्रिय है. वह अब भी मुझे सबसे ज्यादा प्रिय है. वह मेरा हमराज भी है.


वह बहुत हॉट है लेकिन झिझकता है. वह कभी कोई सेक्स की बात शुरू नहीं करता लेकिन कोई शुरू करे तो खूब मजा लेकर चुदा चुदी की बात करता है.


जब तक हमने देसी लड़की की चूत मारी का खेल नहीं खेला था तब तक हम गांडू गांडू वाला खेल खेलते थे.


गे सेक्स या गांड मरवाने मारने के खेल में हम चारों दोस्त दो कपल बन जाते थे. रात में पढ़ाई के बाद दरवाजे की सिटकिनी बंद करके लेट जाते थे. फिर दोनों कपल एक दूसरे से चिपक कर प्रेमालाप करने लगते थे.


मेरे दो दोस्त एक जोड़ा बनते थे और वे आपस में अदल-बदल कर मेल फीमेल बनते थे. दूसरे जोड़े में मैं और मेरा दोस्त अनिल था. मुझे वह ज्यादा अच्छा लगता था तो उसे मैं अनु कहता था.


गे सेक्स के लिए अनु मेरी अभिसारिका होता. मैं मर्द और वह स्त्री बनता. हर बार मैं ही अनु को चोदता था. उसने मुझे कभी नहीं चोदा. साला झिझकता था … और इसी वजह से कभी पहल नहीं करता था.


रात को पढ़ाई के बाद मैं अनु से चिपक जाता, उसकी कमर पर मैं अपना एक पैर रख देता, उसकी गांड के छेद के सामने मेरा लंड तना होता था.


उसकी हथेली को मैं अपने आंडों पर रख देता और उसके आंड व लंड को कपड़े के ऊपर से मैं सहलाने लगता.


अनु बड़े प्यार से मेरे आंडों को सहलाता. हमारे आंड कड़क हो जाते.


तब हम लुंगी खोल कर अंडरवियर को भी उतार देते, एक दूसरे के लंड को सहलाते, लंड तन जाते और टन टन करने लेते.


कुछ देर तक एक दूसरे के लौड़े को हिलाते और ये पीछे करके लंड की मुठ मारते. सच में लंड सहलाने में बहुत मजा आता था.


फिर जब लंड से पानी छूट जाता तो हाथ साफ करके सो जाते.


यह पकड़ना हिलाना हम लोग रोज करते थे. जब हिलाते हुए सर्रर्र से वीर्य निकल जाता, उस वक्त हमारे अंगों में जो तनाव और खिंचाव होता, वो एक अजीब सी अनुभूति को देने वाला पल होता.


उस वक्त आंखें बंद हो जातीं और बस ऐसा लगता कि जन्नत में आ गए.


जिस दिन गांड मारने के लिए बहुत मन करता, उस दिन मैं अनु को खिसका कर एक करवट में लिटा देता.


हमारा एक दोस्त रोज शाम को एक कटोरी में तेल लाता था.


जिस दिन गांड में लंड देने का मन हो जाता था, उस दिन वह तेल हमारे लिए बहुत काम आता था.


मैं गांड मारने वाले दिन अपने लंड पर खूब तेल लगाता और उसको तेल मालिश से चमका देता था. फिर अनु की गांड में भी उंगली के माध्यम से तेल लगाता और उसकी गांड को मक्खन सी मुलायम कर लेता. अनु की हामी मिलते ही मैं अपना मोटा लंड उसकी गांड में घुसा देता.


अक्सर अनु की गांड में लंड पेलने के समय उसकी गहरी आह निकल जाती थी. कुछ ही धक्कों के बाद उसे मजा आने लगता था और हम दोनों गांड चुदाई का मजा लेने लगते थे.


मैं उसे कमसिन लड़की के जैसे खूब चोदता था. फिर कुछ देर में उसकी गांड के अन्दर ही मेरे लंड का तनाव अपने रस की पिचकारी छोड़ कर ढीला होने लगता था. मेरा बीज उसकी गांड में निकल जाता था तो उसे भी बड़ा सुकून महसूस होता था.


उस समय कुछ ऐसे होने लगता था कि मैं भी अनु के लंड को हाथ से हिला कर मुठ मारने लगता था तो उसका लंड भी स्खलित होने लगता था.


जब मैं झड़ कर उससे पूछता कि क्या हुआ मेरी जान … तुम्हारा रस निकला! मेरा दोस्त भी आनन्द की अतिरेकता में बताता कि हां उसका भी वीर्य निकल गया.


इस तरह से चोदने वाले का और चुदाने वाले का बीज निकल जाता और हम दोनों अंडरवियर पहन कर सो जाते. चुदाई के बाद थकान हो जाती थी तो हम दोनों को ही खूब अच्छी नींद आती थी.


कभी कभी हम दोनों जोड़े दिन में भी सेक्स करने का प्लान बना लेते थे. रविवार या किसी छुट्टी के दिन को हम सब हमारे किसी एक दोस्त के घर के एक कमरे में मिलते या उसी के घर में हमारे पढ़ने वाले कमरे में आ जाते और कमरे के दरवाजे की सिटकिनी को अन्दर से बंद करके गे सेक्स करते थे.


हम सब लुंगी अंडरवियर निकाल कर अपने अपने साथी के साथ नंगे लेट जाते. फिर एक दूसरे के लंड को पकड़ कर हिलाते. उस वक्त मन करता तो अपने लंड में तेल लगाकर अपने साथी की गांड में चुदाई करने लगते.


कभी करवट वाले आसन में तो कभी साथी को उकड़ू आसन मतलब घोड़ी बना कर चुदाई का मजा लेने लगते.


ये घोड़ा घोड़ी वाला आसन लगा कर चुदाई करने में ज्यादा मजा आता था. इसमें लंड गांड में ज्यादा अन्दर तक जाता था.


उस वक्त हम चारों में एक बात अक्सर तय थी कि अनु हमेशा गांड मरवाने के लिए ही रेडी रहता था, उसका लंड कभी किसी की गांड में नहीं घुसा था.


आपस में समलैंगिक सेक्स करते समय अलग अलग प्रयोग करते थे. कभी कमरे में चुदाई तो कभी तालाब या नदी में चुदाई का मजा लेते थे.


गर्मी छुट्टियों में हम चारों दोस्त दोपहर में जब मन करता, तालाब में नहाने जाते या कभी कभी पास में बहती नदी में देर तक नहाते.


पानी के अन्दर दोनों कपल चुदाई का मजा लेते हुए खूब मस्ती करते. एक दूसरे के लंड को पकड़ कर हिलाते. अपने साथी की गांड में लंड रख कर देर तक चिपके रहते.


नहाते नहाते हमारे लंड से वीर्य स्खलित हो जाता तो बहुत मजा आता था.


इस सबके बावजूद हम चारों के बीच ऐसा नहीं था कि हमारे शौक सिर्फ गांड मारने तक सीमित नहीं थे. हम लोग चूत की जुगाड़ में भी रहते थे और उसी वजह से हम लोग महिलाओं को नहाते हुए देख कर उनकी चूत की जुगाड़ लगाने का सोचते रहते थे.


शुरू शुरू में तो ये था कि चूत की चाहत ने ही हम चारों को गांड चुदाई का स्वाद चखा दिया था. पर चूत चुदाई की कामना कम नहीं हुई थी.


फिर एक मौका आया, जब मेरी पहली चुदाई चूत के साथ हुई.


हुआ यूं कि एक लड़की हमारे साथ पढ़ती थी. उसका नाम जीतो था.


वह ज्यादातर स्कर्ट टॉप पहनती थी. हमारी नजरें उसकी छातियों के उभार पर होतीं.


उसके दोनों बड़े संतरे तन कर आम जैसे लगते थे और उसके टॉप के ऊपर से हमें बहुत आकर्षित करते थे. कभी कभी उसकी जांघ दिख जाती तो देख कर हम सभी के लौड़े खड़े हो जाते.


खाली टाइम में हम सब जीतो की बात को खूब मजा लेते हुए करते. जीतो ने हाई स्कूल के बाद पढ़ाई बंद कर दी थी. गांव में उसको कभी कभी देखते, तो अब वह और मस्त जवान माल लगती थी.


उसके बड़े बड़े चूचे देख कर हमारे लंड व्याकुल हो जाते थे. हम चारों दोस्त सोचते थे कि कैसे जीतो को पटाएं और चोदें.


एक दिन मैंने एक दोस्त से कहा- तुम लोग कैसे भी करके जीतो को मनाओ, उसे चुदवाने के लिए पटाओ. हमारी सामूहिक कोशिशों ने हमें सफलता दी.


वह रविवार का दिन था. तय हुआ था उस दिन जीतो दोपहर में प्रायमरी स्कूल के कुआं के पीछे आएगी. हम चारों हर रविवार को एक एक करके कुआं के पास बनी टंकी के भीतर उसे चोदेंगे.


इस प्लानिंग में अनु तैयार नहीं हुआ. वह साला झिझक रहा था, डर रहा था.


बाकी तीन तैयार हो गए.


मैंने कहा- पहले दिन मैं उसे चोदूंगा. दूसरे तीसरे रविवार को तुम एक एक करके उसे चोदना. माने एक रविवार को एक ही लंड जीतो की चूत में घुसेगा.


अगले रविवार की दोपहर में हम तीन दोस्त स्कूल के पीछे इंतजार कर रहे थे.


जीतो आकर टंकी के पास बैठ गयी. मैंने टंकी के भीतर उसे बुलाया.


वह आ गई और टंकी में हम दोनों बैठ गए. मैंने जीतो की चूचियों को सहलाया दबाया, फिर उससे दूध खोलने के लिए कहा.


उसने अपने टॉप को हटा कर चूचियां खोल दीं. मस्त गोल गोल आम थे साली के … मैंने उसके दोनों आमों को पकड़ा, दबाया, मसला और खूब मसला.


मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड खड़ा हो गया था, उसे चोदने के लिए एकदम तैयार था.


मैंने जीतो की पैंटी को खींच कर निकाल दिया और अपना लंड भी निकाल लिया. मेरा लंड खड़ा हो गया था, तना हुआ था और टन टन कर रहा था.


वह लंड को प्यार से देखने लगी. मैंने जीतो से लंड पकड़ने के लिए कहा. वह लंड पकड़ कर हिलाने लगी.


मैंने उससे टांग फैलाने के लिए कहा. वह टांग फैलाकर चुदने के लिए रेडी हो गयी. उसकी चूत पर छोटे छोटे काले काले घने बाल थे.


मैंने चुदाई की पोजीशन बनाई और उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया. उसने आह आह किया और लंड गड़प कर गई.


मैं उसकी फ़ुद्दी में लंड घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा. उसकी कसी हुई चूत में लंड पेलने में बड़ा मजा आ रहा था.


लंड को ‘फच पच फच …’ करते हुए चोदने में सुख मिल रहा था. जीतो आह आह कर रही थी.


मैंने उसे कुछ देर तक मस्ती से चोदा, फिर सर्रर्र करके वीर्य स्खलित हो गया.


जीवन की यह मेरी किसी फ़ुद्दी की पहली चुदाई थी … एक यादगार चुदाई जिसमें मैंने एक देसी लड़की की चूत मारी!


अगले रविवार को फिर वही हुआ. दूसरे दोस्त की बारी थी.


तीसरे रविवार को तीसरे दोस्त ने जीतो को चोदा.


जीतो की चूचियों और फ़ुद्दी का जलवा सच में वाह वाह कहने लायक था.


इस तरह से हम चारों दोस्तों के जवानी के दिनों का मजा मैंने आपको सेक्स कहानी के माध्यम से बताया. आप बताएं कि आपको क्या कहना है जैसे हमने देसी लड़की की चूत मारी? [email protected]


हिंदी सेक्स स्टोरीज

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ