सफर में मिला अजनबी चूतों का मजा- 1

विशू राजे

09-07-2023

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हॉट फॅमिली चुदाई स्टोरी में मेरी कार खराब हुए तो मैं मदद के लिए एक अनजान घर में गया. वहां एक बुजुर्ग के साथ दो महिलायें और एक कमसिन लड़की थी. उन्होंने मेरी मदद की, पूरी सेवा की.


दोस्तो, मैं विशू राजे.


मेरी पिछली कहानी थी: दोस्त के गांव में चूत चुदाई का मजा


अब मैं फिर से एक नयी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ. उम्मीद है कि आपको पसंद आएगी.


यह हॉट फॅमिली चुदाई स्टोरी तब की है जब मैं किसी काम से गोवा जा रहा था. बारिश का मौसम था और झमाझम पानी बरस रहा था.


मैं अपनी कार चला रहा था. अचानक से मेरी कार बीच रास्ते में झटके खाकर बंद हो गयी.


मैं परेशान हो गया कि ये क्या हुआ. रात का समय था, अनजानी सड़क थी; कोई गाड़ी भी नहीं दिख रही थी. मैं गाड़ी से उतरा और बाहर आया.


गाड़ी का मुझे ज्यादा ज्ञान नहीं था. फिर भी मैंने बोनट खोल कर चैक किया, सब बराबर लग रहा था.


मैं फिर से गाड़ी में बैठ कर उसको स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा. पर कोई फायदा नहीं हुआ.


फिर मैं परेशान सा गाड़ी से बाहर आया और सड़क के किनारे खड़े होकर किसी से मदद की उम्मीद लगाए देखने लगा.


एक दो कारें वहां से गुजरी भी, मैंने उन्हें रोकने की कोशिश भी की पर कोई कार नहीं रुकी.


मैं अब और परेशान हो गया था कि क्या करूं. फिलहाल मेरे सामने यही एक बड़ा सवाल था.


मैंने आस पास नजर दौड़ा कर देखा तो दूर कहीं हल्की सी रोशनी मुझे दिखी. तो मैंने सोचा कि चलो देखते हैं, रास्ते पर रुक कर क्या करूँगा, उधर जाकर ही देखता हूँ. हो सकता है कि वहां से कोई मदद करने वाला मिल जाए.


मैं कार बंद करके वहां से उस रोशनी की तरफ चल दिया. वहां पहुंच कर देखा तो एक पुराना सा लेकिन बड़ा मकान था. उसका दरवाजा बंद था. मैंने दस्तक दी.


अन्दर से मर्दाना आवाज आयी- कौन है? मैंने जवाब दिया- जी, मैं मुसाफिर हूँ. मेरी कार बंद हो गयी है.


फिर दरवाजा खुला और एक बुजुर्ग इन्सान बाहर आए.


वह बोले- कौन हो और नाम क्या है तुम्हारा? मैं बोला- जी, मेरा नाम विशू है. मेरी कार खराब हो गयी है. आपका घर दिखा तो मदद मांगने के लिए चला आया.


वे बुजुर्ग बोले- मैं तुम्हरी क्या मदद कर सकता हूँ? मैं बोला- जी ज्यादा कुछ नहीं, बस आपसे मदद ऐसी चाहता हूँ कि आज रात मैं यहां गुजार लूँ, कल चला जाऊंगा. रात को मैकेनिक कहां मिलेगा? वैसे क्या आप बता सकते हैं कि यहां आसपास कोई मैकेनिक है?


वह बुजुर्गवार बोले- हां, एक कोस की दूरी पर है. लेकिन वह भी अभी नहीं मिलेंगे … दुकान बंद करके अपने घर चले गए होंगे.


मैं बोला- तो क्या मैं यहां रुक सकता हूँ, अगर आप अनुमति हो तो? वे बोले- हां रुक जाओ.


तब तक गिलास में पानी लेकर एक कमसिन लड़की आयी. वह मुझे पानी लेने के लिए बोली.


मैंने भी पानी का गिलास ले लिया. वह वहीं खड़ी रही, जब तक मैंने पानी पी नहीं लिया.


मैंने गौर किया कि वह मुझे, मेरे शरीर को घूर रही थी.


मैंने गिलास वापस पकड़ाते हुए थैंक्स कहा. वह भी जवाबी वेलकम बोलकर चली गयी.


उसके बाद एक औरत आयी और मुझसे बोली- चलिए, खाना खा लीजिए. मैं बोला- जी शुक्रिया, आप तकल्लुफ ना करें!


मगर वह बुजुर्ग बोले- बेटा खाने को ना नहीं कहते. मैंने कहा- अच्छा चलिए.


जैसे ही मैंने ये बोला … और उस औरत की तरफ देखा तो पाया कि वह भी मेरे शरीर को घूर रही थी.


दिखने में तो वह भी लाजवाब थी. पतली कमर उभरे हुए उरोज और एकदम नुकीले निप्पल. मेरी नजर बार बार उसके स्तनों पर जा रही थी.


‘आइए …’ बोल कर वह मुझे देख कर मुस्कुरा दी और आगे आगे चलने लगी. मैं भी उसके पीछे पीछे चलने लगा.


अन्दर घुसते ही एक और औरत मेरे सामने आ गयी. ये एकदम करारे बदन की मालकिन थी. उसका एकदम गदराया और भरा भरा सा शरीर … स्तन भी एकदम भरे हुए, साला मेरा तो उसके चूचे दबाने का दिल करने लगा.


उसने मेरी नजर भांप ली और धीमे से बोली- पहले खाना खा लीजिए, ये भी मिलेगा.


मैंने उसके पास देखते हुए कहा- जी क्या कहा आपने? वह बोली- जी, हाथ धो लीजिए. पर मुझे पता था कि उसने कुछ और भी बोला था.


मैं हाथ धोकर खाना खाने बैठ गया.


फिर पतली औरत ने मुझे खाना परोसा और बोली- शुरू कीजिए! मैं भी ‘जी …’ बोल कर खाना खाने लगा.


खाते खाते उनसे बातें की और उनका नाम पूछा. वह लड़की बोली- जी, मैं अंजलि हूँ. ये मेरी मम्मी हैं रत्नावली … और ये मेरी चाची हैं सरिता. वह हमारे बाबूजी रघुराव जी हैं.


मैं बोला- और कोई नहीं … जैसे कि घर के मर्द! वह बोली- जी, मेरे पापा और चाचा शहर में रहते हैं. मैंने भी अच्छा कहा और खाना खाने लगा.


सबकी नजर मुझ पर थी; यहां तक किउस लड़की की भी. वह भी जवान हो चुकी थी.


मैंने हंसी मजाक में रत्नावली से कह दिया कि आपको देख कर लगता नहीं कि आपको इतनी बड़ी लड़की होगी. अभी तो आप एकदम जवान लगती हैं. वह शर्मा गयी.


फिर मैंने सरिता से पूछा- आपकी शादी कब हुयी? वह बोली- एक साल हो गया.


मैं मन में बोला- क्या पागल इन्सान है. अपनी नयी नवेली दुल्हन को अकेला छोड़ कर शहर चला गया है. दिल तो किया कि आज की रात ये मिल जाए, तो इसको जमकर ऐसा चोदूंगा कि एक बार में ही पेट से हो जाएगी.


खाना खत्म करके मैं उठा और हाथ धोने बाथरूम गया.


रत्नावली मेरे पीछे आयी और मेरे हाथों पर पानी डालने लगी.


मैंने हाथ धोये, तो उसने अपना पल्लू आगे कर दिया. मुझे हाथ पौंछने के लिए.


मैंने यहां वहां देखा और हाथ पौंछ कर उसक पल्लू खींच दिया. वह अचानक से ऐसा होने से मेरी बांहों में आ गयी.


मैंने उस किस किया और उसके स्तन दबा दिए. सच में बड़े सख्त आम थे.


मैं अगले ही पल उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वह भी साथ देने लगी.


तभी उसकी लड़की आयी और बोली- हो गया, आपका हाथ धोना? मैंने झट से रत्नावली को छोड़ दिया.


मैं डर गया था पर रत्नावली शर्माकर भाग गयी. अंजलि मुझे देख कर हंसने लगी.


मैंने उससे कहा- गलती से हाथ लग गया था! वह बोली- आपको जो चाहिये, वह आप बिंदास ले सकते हैं.


मैं बोला- ये भी? ये कह कर मैंने अंजलि के कंधे पर हाथ रख दिया. वह हंस दी और बोली- ये भी चाहिये क्या? मैं बोला- ये तो पहले चाहिये … मिलेगी कि नहीं?


उसने उचक कर मेरे गाल पर चुम्मी दे दी … मैं संभलता कि उसने मेरे होंठों पर होंठ जमाए और किस कर दी.


मैंने भी उसे पकड़ा और किस करने लगा. वह भी साथ दे रही थी. मैं समझ गया कि हॉट फॅमिली चुदाई का पूरा मजा मिलने वाला है.


तभी मुझे किसी के चलने की आहट सुनायी दी. मैंने उस अलग किया और बाहर आया.


सामने से उसकी चाची सरिता आ रही थी. वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी.


मैं बाहर जा कर रघुराव जी से बात करने बैठ गया.


उधर सरिता आयी और बोली- चलो सोने आ जाइए. रघुराव जी बोले- हां चलो.


मैं अन्दर आया और देखा अन्दर सभी हॉल में सोते हैं. सबका बिछौना लगा दिया गया था. बूढ़े चाचा का एक कोने में था.


मेरा एक कोने में और महिलाओं का एक कोने में. हम सब सोने लगे.


करीब एक घंटा हुआ होगा कि मेरे बदन पर किसी का हाथ घूमने लगा, मैं डर गया.


मैंने आंख खोली तो देखा कि सरिता मेरे बगल में थी.


मैंने सर उठाकर देखा, सब सो रहे थे.


मैं उसके कान में फुसफुसाया- कोई जाग जाएगा! वह बोली- उसकी फिक्र तुम मत करो. मैं सब संभाल लूँगी.


बस फिर क्या था, मुझे मौका मिल गया. अब मैंने गौर किया तो सरिता सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.


मैंने भी उसको दबोच लिया और किस करने लगा, उसके बदन की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी.


मैंने किस करना शुरू किया, वह भी साथ देने लगी.


किस करते करते मैंने उसकी ब्रा उतार दी और नर्म मुलायम चूचों को आजाद कर दिया. उसके होंठ चूसना अब भी जारी था.


मैं अपना एक हाथ उसके चूचों पर ले गया और एक को दबाने लगा. वह किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी.


मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और उसकी रसीली चूत की फांकों को सहलाने लगा. उधर मेरा होंठ चूसना अब भी जारी था.


चूचे दबाते हुए ही मैंने चूत को सहलाया और अपने उसी हाथ की बीच की उंगली सरिता की चूत में सरका दी. सरिता उछल पड़ी. वह ऊँह आह करके रह गयी क्योंकि उसके होंठों को मैंने अपने होंठों के ढक्कन से बंद करके रखा था.


सरिता की चूत अन्दर से काफी गर्म थी और गीली भी थी. उंगली को मैंने रुकने नहीं दिया, अन्दर बाहर करता रहा.


कुछ ही पलों में सरिता की स्थिति बहुत ही ज्यादा कामुक हो गयी थी. उसके होंठ मेरे होंठों में दबे हुए निरंतर रस छोड़ रहे थे. ये रस उसकी लार का था जो मुझे लगातार मजा दे रहा था.


मैं उसके दोनों चूचों को बारी बारी से दबाता जा रहा था … चूत में मेरी उंगली नाच नाच कर सारी नसों को रस झराने पर मजबूर कर रही थी.


उसका चेहरा ऐसा कामुक हो चला था जैसे मोम पिघल रहा हो. तभी उसका सब्र का बांध टूटा और छटपटाती हुई सरिता झड़ने लगी.


मैंने उसे थोड़ा वक्त दिया और होंठों को खोल दिया … चूचे भी छोड़ दिए; उसकी चूत से भी अपनी उंगली निकाल ली.


उसकी धड़कन जोर जोर से धड़क रही थी, चूचे तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे.


फिर 4-5 मिनट बाद मैंने फिर से उसे अपने कब्जे में ले लिया.


इस बार चूत की बारी थी. मैंने उसके पैरों को अलग किया.


उसको लगा कि अब चूत चोदन होगा. उसके चेहरे पर कातिल मुस्कान आ गयी.


पर मैंने पैर अलग करके ऊपर कर दिए. अब उसके जिस्म का आकार इंग्लिश के लेटे हुए यू के जैसे हो गया था.


वह अचंभे में थी कि क्या हो रहा है. कुछ सोच पाती वो … तब तक मैंने उसके चूत की फांकों को खोल कर अपनी जुबान उसकी चूत में घुसा दी. वह उछल पड़ी.


मैंने उसकी टांगों को पकड़ कर रखा था सो वह कुछ न कर सकी. मैं अपनी जुबान को अन्दर तक चला रहा था.


इस सुख से शायद वह अब तक अनजान थी. कुछ ही पलों में वह मजा लेने लगी.


मैंने करीब 5 मिनट तक उसकी चूत चाटी. उसकी चूत के दाने को जुबान से सहलाया.


वह एकदम से सहन न कर पाई और भलभला कर झड़ने लगी. मैंने उसकी चूत के रस को चाट लिया और चूत को चाट चाट कर फिर से खौला दिया.


अब वह मेरे लौड़े को पकड़ने लगी थी. मैंने अपने लंड को चड्डी में से आजाद कर दिया और उसका हाथ ले जाकर मेरे लंड पर रख दिया.


वह लंड को हाथ में लेते ही डर गयी और दबी आवाज में बोली- उई मां, इतना बड़ा … मेरी तो फट ही जाएगी. मैं बोला- कुछ नहीं होगा रानी … मैं आराम आराम से करूंगा.


मैंने तुरंत पोजीशन ली और उसके यू आकार पर मैं चढ़ गया. अपने लंड को उसकी चूत पर सैट किया और एक करारा धक्का दे मारा.


मेरा लंड सरसराता हुआ उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर तक जा घुसा. उसकी सांस अटक गयी, आंखें बड़ी हो गईं.


पर वह आवाज निकाले बिना सब सह गयी. तब भी इस चक्कर में उसकी आंख से आंसू भी टपक गए.


मैं बिना रुके ताबड़तोड़ धक्के मारता जा रहा था. कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा, वह भी उछल उछल कर साथ देने लगी.


फिर एकदम से उसने मुझे ऐसे पकड़ लिया मानो उसमें न जाने कहां से ताकत आ गयी हो. वह अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ने लगी.


अगले कुछ ही मिनट में वह झड़ने लगी. उसके पानी से मेरे लिए आसान हो गया था. चूत के अन्दर काफी चिकनाई हो गयी थी.


मेरा लंड अब और अन्दर तक घुसने लगा था, वह चोट पर चोट लगाने लगा. मैंने उसे किस करना भी जारी रखा, उसके होंठ लाल हो गए थे.


मैं उसके होंठ चूसता हुआ चूचे भी दबा दबा कर मजा ले रहा था.


अब मैंने उसकी एक टांग छोड़ दी और एक वैसे ही रखी. इस तरह से आसन बदल गया था … पर मैं रुका नहीं.


मैं उसको इसी आसन में पेलने लगा. उसकी चूत मेरे लंड की रगड़ से लाल हो गयी थी. अब वह भी मेरा साथ देने लगी थी.


कुछ ही देर बाद मेरा बांध छूटा, तब वह भी मुझे चिपक कर झड़ने लगी. उसकी चूत मेरे रस से भर गयी.


हम दोनों थक गए, दोनों हांफने लगे. मैंने उसका दूसरा पैर भी छोड़ दिया.


वह सीधी हो गयी. मैं उस पर लेट गया. वह मेरे नीचे दबी थी.


तभी वह मेरे कान में फुसफुसाती हुई बोली- मेरी तो फट गयी … क्या धमाकेदार चुदी मैं आज … आह सुहागरात में भी मैं इतनी नहीं चुदी थी. मजा आ गया … मेरी सारी नसें खुल गईं. मैं बोला- थैंक्स यार … मुझे भी मजा आ गया. अब मैं सुकून से सो सकूंगा.


वह हंस कर बोली- आज की रात हम लोग तुम्हें सोने नहीं देंगे. यह कह कर वह वहां से उठ गयी.


मैं उसकी बात सुनकर अवाक था और खुश भी था.


आगे की सेक्स कहानी में आपको बाकी उन दो की चुदाई के बारे में लिखूँगा कि क्या मैं सरिता की बात को सही समझा था या वह क्या कह कर गई थी.


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