लेडीज किटी पार्टी का चहेता गुलाम- 1

वालमिक्स

13-06-2023

24,018

Xxx मालकिन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं एक दूकान में काम करता था. उसकी मालकिन जवान विधवा थी. उसने मुझे पटाया और अपना सेक्स गुलाम बना लिया. मुझे भी इसमें बहुत मजा आता था.


यह कहानी मेरे पाठक ने भेजी है. मैं उसका नाम बदलकर सेक्स कहानी को लिख रहा हूँ, आशा है आप सभी को पसंद आएगी.


आप उसी की जुबानी ये Xxx मालकिन सेक्स कहानी सुनिए.


मैं एक रेडीमेड कपड़ों की दुकान में काम करता था. उस वक्त मेरी उम्र 20 साल थी. मैं एकदम गोरा रंग और साढ़े पाँच फुट लम्बा युवा था. मेरा बदन भरा हुआ था और मेरे चेहरे पर बहुत कम सी दाड़ी मूछ आती थीं. मैं कुछ नेपाली जैसे चेहरे वाला लगता था और बीए पास था.


जिस दुकान में मैं काम करता था, उस दुकान की मालकिन का नाम वर्षा था, वो एक 35 साल की महिला थीं.


पिछले ही साल उनके पति का देहांत हो गया था, जिसके कारण वो दुकान संभालने लगी थीं. सभी कर्मचारी वर्षा को मालकिन कहते थे.


मालकिन लम्बी, तगड़ी हैं और दबंग स्वभाव की हैं.


वर्षा ने देखा कि जब दुकान में ग्राहक नहीं होते, तब मैं अपने मोबाइल में बहुत देर तक कुछ देखता रहता था. मालकिन को उत्सुकता हुई कि प्रकाश क्या देखता है.


एक दिन मालकिन ने मुझसे कहा- मेरा मोबाइल डिस्चार्ज हो गया है, तुम अपना मोबाइल देना जरा, मुझे फ़ोन करना है. मालकिन ने इस तरह से बहाने बना कर मेरा मोबाइल ले लिया और मुझको किसी काम से दुकान से बाहर भेज दिया.


मालकिन ने जब मोबाइल की हिस्ट्री देखी तो उसमें अनेक यौन वीडियो थे. सभी में एक युवक को गुलाम बनाकर बड़ी उम्र की महिलाएं अपने पैर चुमवा रही थीं, चूत चटवा रही थीं, कुत्ते की तरह चला रही थीं, अपना मूत पिला रही थीं. वे युवक को लिटाकर, कभी बांधकर, उसके लंड की सवारी कर रही थीं.


कुछ में महिलाएं स्ट्रेप ऑन डिल्डो पहनकर युवक की गांड मार रही थीं. कुछ देर वो सब देखने के बाद मालकिन ने मेरा मोबाइल वापस कर दिया और मुझसे कुछ नहीं कहा.


दुकान बंद करने से पहले मालकिन मुझसे बोलीं- प्रकाश, तुम मेरे साथ मेरे बंगले पर चलो, आज रात वहीं रुक जाना. बंगले से कल कुछ सामान दुकान में लाना है. तुम अपने घर वालों को खबर दे दो कि रात में बंगले में रुकना है. मैंने कहा- मालकिन मैं अकेला ही रहता हूँ.


अब मैं मालकिन की कार में उनके बंगले में गया.


मालकिन ने मुझको सोफे पर बैठाया, मुझको नाश्ता और वोडका मिली हुई लिम्का दे दी जबकि वो खुद सिर्फ लिम्का लेकर बैठी.


वोदका पीने से मुझको नशा होने लगा. मैंने पहली बार पी थी.


वर्षा- प्रकाश, तुम अपने और अपने परिवार के बारे में बताओ! मैं- मेरी माँ नेपाल से हैं. वो वहां रेडीमेड कपड़ों की दुकान में काम करती थीं. पिताजी नेपाल घूमने गए थे, दुकान में उनका परिचय हुआ. कुछ ही समय बाद उन्होंने शादी कर ली और माँ, पिताजी के शहर आ गईं. यह मुझे माँ ने बताया था. मेरी माँ बहुत सुंदर हैं.


मालकिन- हम्म … फिर?


मैं- फिर जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो माँ ने कपड़ों की दुकान में नौकरी कर ली. घर की आमदनी बढ़ाने के लिए ये जरूरी था. हम एक वन बेड रूम फ्लैट में रहते थे. मैं स्कूल से छूटकर माँ के पास दुकान में चला जाता. मैं कहता कि बड़ा होकर मैं अपनी ऐसी ही दुकान खोलूंगा. मैं दुकान के पीछे के कमरे में पढ़ाई करता. वर्षा- हम्म!


मैं – पिताजी शाम को हमें लेने स्कूटर पर आते. माँ जब हंस कर ग्राहकों से बात करती, तो पिताजी चिढ़ते थे. पिताजी शक्की मिजाज के थे. वो घर आकर माँ के साथ झगड़ा करते. मैं जब 18 साल का हुआ ही था, तब उनका तलाक हो गया था. माँ ने एक साल बाद दूसरी शादी कर ली. मेरे माँ के नए पति सज्जन हैं, मुझसे प्रेम से पेश आते हैं.


वर्षा- आगे बताओ.


मैं- माँ ने मेरा बैंक अकाउंट खोल दिया, हर महीने कुछ रूपए मेरे अकाउंट में डाल देती हैं.


तब तक वर्षा ने दूसरा गिलास वोडका का मुझको दे दिया. पीने के बाद प्रकाश को काफी नशा हो गया.


वर्षा ने मेरा मोबाइल लिया और गुलाम युवक और उससे बड़ी उम्र की महिलाओं का यौन वीडियो चालू करके मुझसे पूछा- इसी तरह के वीडियो तुमको पसंद हैं? क्या तुम भी ऐसा गुलाम बनने का सपना देखते हो? मैं डर गया.


वर्षा ने पुचकारते हुए कहा- डरो नहीं … बताओ! मेरा संकोच दूर करने के लिए ही वर्षा ने मुझको वोडका पिलाई थी.


मैंने बोलना शुरू कर दिया:


माँ के जाने के बाद, एक भरे बदन की महिला शाम को हमारे घर आने लगी. पिताजी उस महिला को मैडम कहते थे. मैडम पिता के ऑफिस में बड़े पद पर थीं. मैडम के आते ही पिताजी मुझे किसी बहाने फ्लैट से बाहर भेज देते.


एक शाम मैं जल्दी वापस आ गया, मैंने अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला. बेडरूम का दरवाज़ा बंद था, बेड रूम से अजीब आवाजें आ रही थीं. थोड़ी देर बाद बेडरूम से मैडम और पिताजी निकले, मैं पढ़ने का बहाना कर रहा था.


उसके बाद से अब पिताजी मैडम को अन्दर लेकर मेरे सामने ही बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर देते. मैं जवान उम्र का युवक था. सेक्स के बारे में दोस्तों से मेरी बात होती थी. सम्भोग के वीडियो दोस्तों के मोबाइल पर देखे थे.


जब मैडम और पिताजी बेडरूम में जाते, मैं की-होल से देखने लगता. एक दिन मैंने देखा कि मैडम पिताजी को गुलाम बना देतीं और मजे करतीं.


इसमें पिताजी और मैडम दोनों खुश दिखाई देते. मैं भी गुलाम बनने की कल्पना करने लगा और गुलाम का वीडियो देखने लगा.


हमारी बिल्डिंग वालों को मैडम के बारे पता चला. उस समय मैडम और पिताजी बेड रूम में थे, बिल्डिंग वाले झुण्ड बनाकर हमारे फ्लैट में आए और बेडरूम का दरवाज़ा खटखटाया. मैडम और पिताजी बाहर निकले. बिल्डिंग वाले खरी खोटी सुनाने लगे. कहने लगे या शादी करो, नहीं तो फ्लैट छोड़ दो.


पिताजी मैडम के साथ फ्लैट छोड़ कर चले गए. उसके बाद से मैं उनसे नहीं मिला. मैं आपकी दुकान में काम करने लगा.


वर्षा- प्रकाश, मैं तुम्हारा गुलाम बनने का सपना पूरी कर सकती हूँ. पर सोच लो इसमें काफी दर्द है. इससे कमाई भी होगी. कुछ सालों बाद तुम अपनी कपड़े की दुकान खोल सकते हो. तुमको मेरे प्रति वफादार रहना होगा और यह बात किसी को नहीं बताओगे. तुमने कभी किसी के साथ सम्भोग किया है?


प्रकाश- मैं दर्द सहने को तैयार हूँ, मैं किसी को नहीं बताऊंगा. मैंने कभी सम्भोग नहीं किया है. ये सब बातें करते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया था.


वर्षा- नंगे हो जाओ. मैंने तुरंत अपने कपड़े उतार दिए, मेरा 5 इंच का लंड देखकर मालकिन ने कहा कि ये काफी सुन्दर है.


उस रात बस इतना ही हुआ. मालकिन ने मेरे साथ सेक्स नहीं किया. उन्होंने मुझसे कहा- यदि तुमको मुझे नंगी देख कर मुठ मारना हो तो तुम कर सकते हो. मैंने मना कर दिया.


फिर हम दोनों अपनी अपनी जगह सो गए.


दूसरे दिन मालकिन ने मुझे अपनी सहेली डॉक्टर के पास जांच के लिए भेज दिया. दो दिन में डॉक्टर की रिपोर्ट आ गयी, सब ठीक है.


मालकिन ने मुझे ब्यूटी पार्लर भेजकर, मेरे शरीर के अनचाहे बाल निकलवा दिए. मैं मालकिन के कहने पर किराये का फ्लैट छोड़कर मालकिन के बंगले के नौकरों के कमरे में रहने लगा.


मालकिन ने मुझे शरीर को लचीला बनाने की कसरत सिखाई, ब्रेस्ट पंप देकर लगाना सिखाया. इससे मेरे चूचे बड़े होने लगे. बवासीर से बचने के लिए, मल त्याग से पहले ऊंगली से गांड के अन्दर तेल लगाने को बोला.


गांड का छेद पिचकारी में पानी भरकर साफ करना सिखाया. आस प्लग गांड में डालकर चलने को कहा, चलते समय आस प्लग से मजा आ रहा था.


फिर 15 दिन बाद, दुकान के सामने वाली सड़क सीमेंट की बनने का काम शुरू हुआ. दो दिन काफी धूल मिट्टी उड़ने वाली थी, उस सड़क की सभी दुकानें दो दिन के लिए दुकानदारों ने बंद रखना तय किया.


मालकिन- प्रकाश, ये 2 दिन घर में रहकर मजे करेंगे. गुलाम बनने को खेल समझना, मजा आएगा. तुम कल सुबह तैयार रहना.


तब मालकिन ने बंगले के नौकरों को छुट्टी दे दी.


मैं सुबह जल्दी उठा, फ्रेश होकर, गांड साफ़ करके बाहर आया और चाय नाश्ता बनाकर मैंने मालकिन को उठाया. उस दिन मैं उत्साहित था.


चाय नाश्ते के बाद मालकिन नहाकर स्कर्ट ब्लाउज पहनकर सोफे पर बैठ गईं.


टेबल पर खुला सूटकेस रखा था. उसमें कुत्ते का पट्टा, जिसमें जंजीर लगी थी, हथकड़ी, रस्सी के टुकड़े, दो फ़ीट लम्बी बेंत. उस बेंत के सिरे पर 3 इंच लम्बा चमड़े का बेल्ट लटक रहा था. उस बैग में और भी बहुत सामान था.


मालकिन बोलीं- पट्टा गले में लगाकर कुत्ते की तरह खड़े हो जाओ. तुम अब मेरे गुलाम हो.


मैं पट्टा गले में लगाकर मालकिन के पैरों के पास कुत्ता बनकर खड़ा हो गया.


मालकिन ने बेंत से मेरे कूल्हों पर मारकर कहा- कुत्ता कभी कपड़े पहनता है? बेंत पर लटकते बेल्ट की मार से चटाक की आवाज़ हुई और मेरे कूल्हों में जोर की जलन हुई. मैंने तुरंत कपड़े उतार दिए.


मालकिन के कहने पर मैं उनके तलवे चाटने लगा, उनके पांव के अंगूठे चूसने लगा.


तब मालकिन ने अपने पैर फैलाकर मुझे उनकी चूत चाटने को कहा.


मैंने उनकी स्कर्ट में सर घुसाया. मालकिन ने पैंटी नहीं पहनी थी, मैं चूत चाटने लगा. मालकिन सर पकड़कर मुझे सिखा रही थीं कि चूत कैसे चाटना और चूसना है.


तब मालकिन सिसकारी लेने लगीं और मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगीं.


मुझे सांस लेने में मुश्किल हो रही थी.


थोड़ी देर में उनकी चूत से ढेर सा पानी निकला तो मालकिन ने कहा कि सारा पानी चाट कर पी लो. मुझे वह पानी अच्छा लगा.


तभी मुझे प्यास लगी थी तो मैंने पानी के जग की तरफ हाथ बढ़ाया तो मालकिन गरज उठीं- गुलाम तुमने मेरे इजाजत के बिना पानी पीने की कोशिश की, तुम्हें सजा मिलेगी. हर बार मार पड़ने के बाद तुम धन्यवाद कहोगे.


मालकिन ने मुझे अपने दोनों हाथ सर पर रखकर खड़ा किया और बेंत से मेरी छाती, पेट, जांघ पर मारने लगीं. हर बार बेंत की मार पड़ने के बाद मैं धन्यवाद कहने लगा.


मालकिन- तुम्हारी प्यास मैं अपना मूत पिलाकर बुझाऊंगी.


वे मुझे बाथरूम में ले गईं, अपनी स्कर्ट उतारकर, बाथ टब के किनारे पैर फैलाकर बैठ गईं, मुझे घुटनों के बल बैठकर, मुँह खोलकर चूत में लगाने को कहा.


मालकिन की चूत बड़ी और फूली थी. मैंने मुँह लगाया. मालकिन ने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चूत के ऊपरी हिस्से में सैट किया, जहां से पेशाब निकलती है.


मालकिन मूतने लगीं, मैं पीने लगा. कुछ मूत मेरे चेहरे और शरीर पर बहने लगा.


मूतने के बाद मालकिन ने कहा- नहाकर बेडरूम में नंगे आओ. मूत पीना मुझे अच्छा लगा.


मैं नहाकर बेड रूम में गया. मालकिन ने मुझे चित लिटाकर मेरे हाथ पांव फैलाकर पलंग के चारों कोनों में बांध दिए.


मालकिन ने अपना ब्लाउज, ब्रा आदि सब उतार दिया. वर्षा के बड़े चूचे देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा.


मालकिन डंडी लगे एक नर्म डस्टर से मेरा लंड सहलाने लगी. मेरा लंड खड़ा होकर झटके लेने लगा. मेरे लंड की जड़ पर मालकिन ने पेनिस रिंग लगा दिया.


उसने लंड पर तेल टपकाया और मेरे ऊपर आईं, मेरे लंड को अपनी चूत में डालकर मेरे लंड पर उछलने लगीं.


उनके बड़े चूचे डोलते हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे. मैं आनन्द से ‘आह आह …’ कर रहा था.


मालकिन रुकीं और उन्होंने मेरे खुले मुँह में थूक दिया. मैंने भी मालकिन का थूक गटक लिया.


मालकिन झड़ कर मेरे ऊपर लेट गईं. मेरा लंड अभी भी चूत में था.


वर्षा की चूत से निकला कामरस मेरी गोटी पर बहने लगा.


पेनिस रिंग के कारण मैं नहीं झड़ा था, लंड खड़ा था. थोड़ी देर बाद मालकिन फिर से लंड पर उछलने लगीं. मेरा लंड दर्द कर रहा था.


काफी देर रुक रुक कर लंड पर उछलने के बाद वो फिर से झड़ गईं.


उन्होंने मेरे हाथ पांव खोलकर कहा- बाथरूम में जाकर पेनिस रिंग निकाल दो और कपड़े पहनकर खाना खाने आ जाओ.


मैंने बाथरूम में जाकर पेनिस रिंग निकाला, लंड को एक दो बार हिलाया तो ढेर सा वीर्य पिचकारी की तरह निकल गया.


बाहर मालकिन ने दो प्लेटों में खाना परोसा.


मैं रोज मालकिन के साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाता था पर आज मैं प्लेट लेकर जमीन पर बैठा, गुलाम जो था.


मालकिन ने पानी पीने की इजाजत दे दी. खाने के बाद शाम 6 बजे गांड साफ़ करके फिर मिलने का हुक्म दिया. मैं खाकर अपने कमरे में सो गया.


मैंने शाम 5-30 पर उठकर गांड का छेद पिचकारी में पानी डालकर साफ़ किया. फिर चाय बनाकर मालकिन को 6 बजे दी.


चाय के बाद मालकिन मुझे बैडरूम ले गईं. उनके हाथ में लकड़ी का खूंटा था.


मालकिन ने स्ट्रेप ऑन डिल्डो पहना, मैंने अपने कपड़े उतार दिए.


मालकिन ने मुझे पलंग के पास खड़े होकर सामने झुका दिया. मेरे हाथ पलंग पर थे.


मालकिन ने मेरे कूल्हों पर खूंटा से मारकर पैर फ़ैलाने को कहा.


मालकिन- गुलाम, आज मैं तेरी गांड फाड़ूंगी. तुझे मालूम पड़ेगा गांड का दर्द कैसा होता है. मैं समझ गया कि मालकिन मुझे दर्द देना चाहती हैं.


उन्होंने डिल्डो पर तेल लगाया, वो डिल्डो से मेरी गांड मारने लगीं. पहले मुझे दर्द हुआ, फिर मजा आने लगा.


पर मैं ‘आ आ मर गया …’ बोल रहा था, जिससे मालकिन को लगे कि मैं दर्द में हूँ.


मालकिन मेरे कूल्हों और पीठ पर लकड़ी के खूंटा से मारती भी जा रही थीं. उनकी मार से मुझे और जोश आ गया था.


मैं थोड़ी देर में झड़ गया. मालकिन ने भी थककर डिल्डो गांड से बाहर निकाला. मेरी गांड सच में दुःख रही थी, मैं पैर फैलाकर चल रहा था.


मालकिन मुझे बाथरूम में ले गईं, एक मग में मूतकर उन्होंने अपनी पेशाब मुझे पिलाई.


मुझे बाथरूम के फर्श पर बिठा दिया. मेरे हाथ पीछे करके हथकड़ी लगा दी. मेरी आंखों में पट्टी बांध करकर चली गईं.


कितना समय बीत गया, मालूम नहीं पड़ा. मैंने बैठे बैठे ही पेशाब कर दी.


आखिर मालकिन ने आकर मेरे आंख की पट्टी और हथकड़ी खोली, मुझे गीले कपड़े से बदन पौंछ कर बैडरूम में आने को कहा.


मालकिन ने मुझे पलंग पर पीठ के बल लिटाकर मेरे हाथ पांव फैलाकर पलंग के चारों कोनों में बांध दिया.


तब मालकिन ने अपने कपड़े उतार दिए, उनका नंगा बदन, बड़े चूचे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.


मालकिन ने मेरे सर के नीचे बड़ा तकिया लगाया, मेरे सर के दोनों ओर घुटने रखकर, अपनी चूत मेरे मुँह पर ले गईं.


मैं कुत्ते की तरह जीभ निकालकर चूत चाटने लगा. मालकिन मुँह से उतारकर मेरे ब्रेस्ट पंप से बढ़े चूचे सहलाने लगीं, मेरे दोनों निप्पल मरोड़ने लगीं.


मुझे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था.


अब मालकिन मेरे लंड की सवारी करने लगीं. उन्होंने इस बार पेनिस रिंग नहीं लगाया था.


मालकिन रूककर बोलीं- जब तुम्हें लगे, तुम झड़ने के पास जा रहे हो. अपना ध्यान दूसरी तरफ कर लेना और कुछ और सोचने लगना. जैसे तुम खुद की दुकान खोलने के बारे में सोचने लगना. इससे तुम्हारा झड़ना टल जाएगा.


काफी देर लंड पर उछलने के बाद मालकिन झड़ गईं. मेरे लंड की गोटियाँ कामरस से भीग गयी थीं.


मालकिन मेरे ऊपर लेटकर बोलीं- अब तुम झड़ सकते हो. मेरा लंड अभी भी चूत में था.


मैंने लेटे लेटे कमर हिलायी और मालकिन की चूत में झड़ गया. मालकिन ने अपनी चूत मेरे मुँह में लगाकर कहा- इसे चाटकर साफ़ करो.


उनकी चूत में मेरा वीर्य और मालकिन का कामरस लगा था जिसे मैंने चाटकर साफ़ कर दिया.


फिर मालकिन मेरे हाथ पांव खोल दिए.


मालकिन ने पलंग पर पेट के बल लेटकर कहा- मेरी पीठ, कमर, पांव की मलिश करो. मैं तेल से मालिश कर रहा था और सोच रहा था कि मालकिन कब चित लेटेंगी और मुझे उनके चूचों की मालिश करने मिलेगी.


मालकिन ने मुझे रोककर कहा- अब मुझे गर्म पानी से नहलाओ … मेरी पीठ, पांव में साबुन लगाओ, पर खबरदार मेरी छाती (चूचे) छूने की गलती मत करना.


बाथरूम में मालकिन स्टूल पर बैठ गईं. मैंने उनको नहलाया. रात के खाने के बाद, मालकिन बोलीं- अब अपने कमरे में सो जाओ, सुबह 8 बजे फ्रेश होकर चाय नाश्ता बनाकर मुझे जगाना.


दूसरे दिन सुबह चाय नाश्ते के बाद, मैंने खाना बनाया. मालकिन ने मुझे नंगा करके पलंग के पास आगे झुकाकर, पैर फैलाकर खड़ा किया.


मेरा सर और हाथ पलंग पर थे. मालकिन ने मेरे हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर हथकड़ी लगा दी.


मेरी गांड स्ट्रेप ऑन डिल्डो पहनकर मारने लगीं, मेरे कूल्हों और पीठ पर लकड़ी के स्केल से पीटने लगीं.


पिटने और गांड मरवाने से मुझे मजा आ रहा था, मैं बिना लंड पर हाथ लगाए झड़ गया.


शाम को 7 बजे, मालकिन ने पलंग पर पीठ के बल लेटकर अपने पांव फैलाकर, मुझसे अपनी चूत चुसवाई.


मालकिन बोलीं- गुलाम, अब मेरे ऊपर आकर मुझे चोदो. तुम मेरे चूचे दबा, चूस सकते हो मगर याद रहे कि मेरे पहले झड़ना नहीं है.


मैं तुरंत मालकिन की चुदाई करने लगा और उनके चूचे दबाने चूसने लगा. मालकिन सिसकारी लेकर बोलीं- और जोर से चोदो. पर बिना पिटे मुझे उतना जोश नहीं आ रहा था.


मैंने कहा तो मालकिन ने सिरहाने रखी बेंत उठाई और मेरे कूल्हों, जांघ पर मारकर कहने लगीं- और जोर से चोद … और जोर से.


बेंत पर लगा बेल्ट हर बार जब चटाक से मुझे लगता, तो मेरा जोश बढ़ जाता और जोर से चोदने लगता.


जब मैं झड़ने के करीब होता तो अपने ध्यान को दूसरी तरफ कर लेता. काफी देर बाद मालकिन झड़ गईं.


पूरा ध्यान मैंने मालकिन की चुदाई के समय उनके हिलते हुए चूचों पर लगाया और कुछ देर में झड़ गया. मैंने चूत चाटकर साफ कर दी.


Xxx मालकिन सेक्स के बाद मालकिन बोलीं- प्रकाश अब तुम गुलाम नहीं हो, मेरे साथ बैठकर खाना खाओ और जल्दी सो जाओ.


हम जल्दी सो गए. अगले दिन दुकान खोलनी थी.


ऐसा ही दो महीने चला. जब मालकिन की इच्छा होती, मुझे गुलाम बना लेतीं. मुझे गुलाम के खेल में और पिटने में मजा आता.


मालकिन ने मुझे उनके चूचों की मालिश की अनुमति दे दी.


एक दिन मालकिन ने बताया कि उनको कुछ कारण से बच्चा नहीं हो सकता है. इसलिए चुदाई में उसकी चुत में वीर्य छोड़ने से कोई खतरा नहीं था.


प्रकाश महिला किटी पार्टी का गुलाम कैसे बना और क्या क्या किया. ये सब आप भाग-2 में जरूर पढ़ें.


आपको Xxx मालकिन सेक्स कहानी कैसी लगी बताएं. [email protected]


Xxx मालकिन सेक्स कहानी का अगला भाग:


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