पड़ोसन भाभी और उनकी दोनों लड़कियां चोदीं

आशुतोष 4

12-03-2024

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भाभी की सेक्स की हवस इतनी ज्यादा थी कि उसने मुझे काम के बहाने से घर बुलाया और सेक्स की बात करके चुद गयी. उसने अपनी बेटियों को भी मुझसे चुदवाया.


मैं आशुतोष … आज आपके लिए बहुत ही मजेदार सेक्स कहानी लेकर आया हूँ.


इस भाभी की सेक्स की हवस कहानी को पढ़ते ही लड़कों का लंड खड़ा हो जाएगा और लड़कियों की बुर में खुजली होने लगेगी. लड़कों का हाथ अपने अपने लंड पर पहुंच जाएगा. भाभी आंटी और लड़की का हाथ अपनी बुर और चूचियों पर आ जाएगा.


मध्यप्रदेश के जिला जबलपुर में एक छोटी सी फैमिली रहती थी. उसमें एक भाई दो बहनें और उनके माता पिता रहते थे.


भाई का नाम रोहन था. बहनों के नाम अंतिमा और गुड़िया था.


मैं आशुतोष उनका पड़ोसी था. मेरा उनके घर में आना जाना लगा रहता था.


अंतिमा बहुत ही सुंदर लौंडिया थी. सारे गांव के लौंडे उसकी खिलती जवानी पर फिदा थे. सब उसके चूचों के नाम की मुठ मारते थे.


मुझे भी वह बहुत अच्छी लगती थी. मैं उसके घर से उसकी ब्रा और पैंटी चुरा लाता था और उसे अपने लौड़े पर लपेट कर मुठ मार लेता था.


उनके माता पिता यानि मेरे धर्म के भैया और भाभी बिल्कुल खुले मिज़ाज के थे. वे मुझको बहुत मानते थे.


एक दिन मैं घर पर था. भाभी के घर का बल्ब फ्यूज हो गया था.


तो भाभी ने मुझको बुलाया और कहा- पास की दुकान से एक बल्ब ले आओ.


मैं बल्ब लेकर आया तो देखा कि घर में कोई नहीं था. भाभी अकेली थीं और वे एक बहुत ही ज्यादा हॉट मैक्सी पहनी हुई थीं.


मैंने भाभी से पूछा- घर में कोई नहीं है क्या? उन्होंने कहा- नहीं.


मैं उन्हें बल्ब देकर जाने लगा तो भाभी ने आवाज देकर फिर से बुलाया और बोलीं- अरे कहां जा रहे हो. यह बल्ब तो लगा दो और तुम्हें कोई जरूरी काम न हो तो आओ बैठो मेरे पास. घर में कोई नहीं है तो मैं अकेली बोर हो रही हूँ.


अब इधर मैं आपको बता दूँ कि भाभी बड़ी ही मस्त माल थीं. वे 5 फुट की दूध सी गोरी, चिकनी और मीठी आवाज़ वाली थीं. उनकी चूचियां भी बड़े वाले संतरों जैसी थीं, गदरायी हुई गांड थी.


मुझे भी उनके घर में भाभी और उनकी लड़कियों को चोदने की चुल्ल थी मगर कह नहीं सकता था. आज भाभी ने बुलाया था तो मैं उनके पास बैठ गया.


भाभी बोलीं- पहले बल्ब लगा दो. मैंने कहा- आप नहीं लगा पाएंगी क्या?


वे बल्ब लगाने वाले होल्डर को देखने लगीं और बोलीं- लगा तो सकती हूँ. मैंने कहा- हां तो आप कोशिश कीजिए. यदि नहीं बनेगा, तो मैं लगा दूंगा.


भाभी उठ कर बल्ब लगाने लगीं. बल्ब लगाते समय उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गिरने लगीं.


मैंने झट से उनको थाम लिया और अपनी बांहों में ले लिया. बड़ी ही मुलायम जवानी थी. मेरे हाथों में उनका सेक्सी शरीर बड़ा ही रेशमी लग रहा था.


मेरा एक हाथ उनकी गांड पर भी लगा था तो मैंने उनकी गांड को दबा कर भी देखा था. सच में बड़ी मक्खन बदन वाली भाभी थीं.


फिर मैंने भाभी को अपनी बांहों का सहारा देकर सोफे पर बैठा दिया.


भाभी हंसने लगीं और बोलीं- आज यदि आप न पकड़ते तो मेरी तो टांग ही टूट जाती. कुछ देर बाद वे बोलीं- मैं चाय बना कर लाती हूँ.


मैं बैठ गया और उनके जिस्म के अहसास को याद करने लगा. भाभी कुछ देर बाद चाय लेकर आईं और मेरे बाजू में ही बैठ गईं.


वे मेरे हाल चाल पूछने लगीं. उस वक्त भाभी मेरे एकदम पास को सरक आई थीं और कुछ ज्यादा ही झुक कर अपनी चाय को प्लेट में डाल रही थीं.


मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी थी.


भाभी मुझसे मजाक बहुत करती हैं तो वे आज कुछ ज्यादा ही मीठी मीठी बातें कर रही थीं और पूछ रही थीं- तुम्हारी कोई जी एफ है? मैंने कहा- नहीं.


भाभी ने पूछा कि क्यों नहीं है … और गर्लफ्रेंड नहीं है तो अपना काम कैसे चलाते हो?


मैंने उनकी इस मजाक वाली बात का बिंदास जवाब देते हुए कहा कि हाथ से काम चला लेता हूँ. वे हंसने लगीं. मैं भी हंसने लगा.


भाभी बोलीं- अरे मुझसे कह दिया करो, मैं भी तो तुम्हारी भाभी ही हूँ. यह सुनकर मैंने हाथ बढ़ाया और पीछे हाथ ले जाकर भाभी की मैक्सी की चैन को नीचे खींचते हुए खोल दिया.


इससे भाभी की ब्रा सामने आ गई.


भाभी गुस्सा करने लगीं- तुम यह क्या कर रहे हो? मैंने सॉरी कहा और उधर से उठ कर जाने लगा.


तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं- अरे, इसमें जाने की क्या बात है. कोई बात नहीं अगर खोल दिया है, तो पूरी उतार कर देखो.


मैं खुश हो गया था कि भाभी की तरफ से हरी झंडी मिल मिल गई.


तभी मैं पुनः बैठ गया और मैंने भाभी को सोफा पर लिटा कर उनकी मैक्सी को निकाल दिया.


अन्दर भाभी ने पिंक कलर की ब्रा पैंटी पहनी हुई थी. वे बड़ी ही मस्त माल लग रही थीं.


दोस्तो, आप महसूस कीजिए कि केवल ब्रा पैंटी में कोई भाभी आपके सामने पड़ी हो तो कितनी हॉट एंड सेक्सी लग रही होगी.


मैंने भाभी से कहा कि भैया आपको कितनी बार चोदते हैं? भाभी ने कहा- रोज एक बार तो पक्का है लेकिन एक लंड से मेरा मान नहीं भरता है. जब तक दिन में दो या तीन लंड ना मिलें तो कैसे मजा आए!


मैंने चौंक कर कहा- क्या आप सच कह रही हो भाभी? एक बात और बताओ कि क्या सब भाभियों का यही हाल होता है या सिर्फ़ आपका ही ऐसा है? भाभी बोलीं- अलग अलग मर्द के लंड लेने का मन तो सबका करता है लेकिन सबको मिलता नहीं है न! जैसे लड़कों का मन करता है कि अलग बुर और चूची पीने का, वैसे ही हम लोगों का भी अलग अलग लंड से चुदाई की तमन्ना होती है.


यह सब सुनकर मैं तो जन्नत में था. मैंने भाभी के होंठों को किस किया.


उनके होंठों को चूमते चूसते नीचे आ गया और उनके गले में किस करने लगा.


फिर ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. भाभी बिन पानी की मछली की तरह तड़प उठीं.


कुछ देर के बाद मैंने उनकी ब्रा को उतार दिया और उनके दोनों संतरे मेरे सामने फुदकने लगे. मैं भाभी के चूचों से खेलने लगा.


भाभी भी अपने हाथ से अपने दूध पकड़ पकड़ कर मुझे पिलाने लगीं.


उनकी चूचियों से खेल लेने के बाद मैं धीरे धीरे नीचे आया और उनकी नाभि को किस किया. भाभी ने मेरे सर को और नीचे कर दिया तो मेरी नायक के पास उनकी गुलाबी पैंटी आ गई थी.


बड़ी मादक महक आ रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि चूत को खा जाऊं.


फिर मैंने भाभी की पैंटी को उतार दिया. उनकी बुर एकदम पैंटी के जैसी ही गुलाबी थी. मुझे तो उनकी चूत देख कर नशा ही हो गया था.


मैंने भाभी से कहा- भाभी मुझे भी अपने जैसा कर दो न! वे समझ गईं और भाभी ने उठ कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए.


मेरा लंड हवा में टनटनाने लगा. उन्होंने लंड को अपने हाथ से पकड़ा और सहलाने लगीं.


वे मेरे लौड़े से खेल रही थीं और मैं उनकी गोरी गोरी चूचियों को चूस रहा था.


भाभी ने एक हाथ से लंड पकड़ा और दूसरे हाथ को मेरे सीने पर फेरने लगीं. वे मुझे लगातार किस कर रही थीं.


मैं तो बिल्कुल जन्नत में सैर कर रहा था.


भाभी धीरे धीरे मेरे लंड को ऐसे चूसने लगीं, जैसे वे कोई लॉलीपॉप चूस रही हों.


कुछ मिनट तक यही सब चलने के बाद भाभी ने कहा- अब चोद दो देवर जी मुझसे रहा नहीं जाता!


भाभी की सेक्स की हवस सर चढ़ कर बोलने लगी थी. उनके मुँह से इतना सुनते ही मैं उठा और मैंने उनकी चूत को उनकी मैक्सी से पौंछ कर अच्छे से साफ किया और अपनी जीभ से चूसना शुरू कर दिया.


चूत चुसवाते ही भाभी की आह आह निकलने लगी और कुछ ही देर में भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया.


भाभी का काम हो गया था तो वे मना करने लगीं. मगर मेरा लंड तो चूत में घुसने को बिल्कुल तैयार हो गया था.


मैंने भाभी से अपनी गांड को दोनों से फैलाने का कहा. भाभी हंस कर बोलीं- छोटी लाइन को भी पसंद करते हो?


मैंने कहा- भाभी, मैं अपने लंड को इसलिए गांड में डालना चाहता हूँ क्योंकि बुर तो आपने बहुत लोगों को दी होगी, गांड का मजा कम लोगों को मिला होगा. भाभी ने हामी भरते हुए अपनी गांड खोल दी.


मैंने लंड में थूक लगा कर भाभी की गांड में पेल दिया. एकदम से लंड गांड में घुसा तो भाभी चिल्लाने लगीं.


मैंने भाभी की एक ना सुनी और लंड पेलने लगा, गांड की चुदाई करता रहा. भाभी रोने लगीं और रोती हुई ही बोलीं- तुमको चूत चाहिए तो मैं तुमको एक से एक अच्छी बुर दिला दूँगी लेकिन अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लो!


मैंने कहा- अच्छा किसकी बुर दिलवाओगी? भाभी बोलीं- अंतिमा और गुड़िया की दिलवा दूँगी!


मैंने उन दोनों का नाम सुना तो झट से अपना लंड भाभी की गांड से बाहर निकाल लिया. मैंने कहा- लो निकाल लिया. अब बुलाओ अंतिमा को!


वे बोलीं- अभी मेरी आगे वाली का मजा ले लो. उसे बाद में चोद लेना. अभी वे दोनों बाहर गई हैं. मैंने भाभी की चूत चुदाई शुरू कर दी.


आधा घंटा तक भाभी की चुदाई के बाद मैंने अपने लंड का माल भाभी को पिला दिया और लंड चुसवा कर साफ करवा लिया. इस प्रकार मैंने भाभी की सेक्स की हवस शांत की.


उसके बाद शाम को भाभी ने अपनी दोनों लड़कियों को बुलाया.


अंतिमा पांच फुट दो इंच की थी. उसकी चूचियां अभी नींबू जैसी थीं. वह 19 साल की कमसिन कली थी.


गुड़िया उससे दो साल बड़ी थी. वह 21 साल की थी और शायद एक या दो बार चुदी हुई थी. वे दोनों सामने आ गईं.


मैंने भाभी से तीनों को नंगी होने का इशारा किया. वे सब नंगी हो गईं.


शायद भाभी ने उन्हें पहले से ही खुल कर सेक्स करने का पाठ सिखाया हुआ था.


अब मैंने भाभी से कहा- आ जाओ भाभी, मेरा लंड चूस लो. भाभी ने आगे बढ़ कर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.


अंतिमा और गुड़िया भी मेरे पास आ गईं. मैं अंतिमा की चूचियों से खेलने लगा.एक हाथ से गुड़िया की बुर टटोलने लगा.


फिर मैंने पहले सील पैक माल अंतिमा को चुदाई के लिए चित लिटा दिया और भाभी से कहा कि मेरे लंड को अपनी बिना चुदी लड़की की बुर में सैट करो.


भाभी ने अंतिमा की बुर को फैलाने के लिए उसकी दोनों टांगों को फैला दिया. मैंने लंड को बुर की फांक में रख कर ठाप लगा दी.


अंतिमा की बुर में लंड पेला तो वह रोने और चिल्लाने लगी. गुड़िया ने उसके मुँह पर अपनी चूत रख दी थी.


मुझे अंतिमा की चुदाई करने में बहुत शांति मिली और मज़ा आ गया. अंतिमा को कुछ देर तक दर्द हुआ, फिर वह भी मेरे लंड का मज़ा लेने लगी.


तब से अंतिमा मेरी जान बन गयी. ‘अंतिमा लव यू मेरी जान.’ यही कहते हुए मैं उसे देर तक चोदता रहा.


उसके कुछ देर बाद मैंने गुड़िया को पेला. उसने मेरे लंड को बड़े प्यार से अपनी चूत में लिया.


इसी तरह हम चारों खूब मजा करने लगे. जब भी मौका मिलता, मैं उन्हें खूब चोदता.


दोस्तो, आपको मेरी भाभी की सेक्स की हवस की कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं. [email protected]


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