हूर की परी अब्बू के लंड की दीवानी- 1

इरफ़ान सैयद

01-09-2023

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कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि सहेलियों की चुदाई की बातें सुन सुन कर मेरा मन भी कोई लंड देखने का होने लगा था. मैंने पोर्न विडियो देखने लगी. पर असली लंड मैंने अभी नहीं देखा था.


नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम रियासा है. मेरी उम्र 23 साल है. आज मैं आपको मेरे और मेरे अब्बू के बीच में हुई एक सच्चा वाकया सुनाने जा रही हूँ.


यह कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी तब की है जब मैं 19 साल की थी.


घर में सिर्फ़ हम तीन लोग रहते थे. मैं, मेरे अब्बू इरफ़ान और अम्मी.


अब्बू की एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी ख़ासी जॉब थी और अम्मी की सरकारी हॉस्पिटल में पक्की नौकरी थी. उस समय मैं कॉलेज में थी.


मैं देखने में गोरी थी और मेरा फिगर भी ठीक-ठाक था. उस समय मैं बिल्कुल एक कमसिन कली थी. मैंने अपनी बुर में उंगली तक नहीं की थी.


मुझे सेक्स में पहले कुछ ख़ास रूचि नहीं थी इसीलिए मेरा कोई भी ब्वॉयफ्रेंड भी नहीं था. हालांकि मेरी ज़्यादातर सहेलियों के ब्वॉयफ्रेंड थे, वे सब अपने ब्वॉयफ्रेंड्स के साथ चुदाई के मज़े भी लेती थीं.


मेरी लगभग सारी सहेलियां चुदने के बाद आकर मुझे अपनी चुदाई की कहानियां सुना कर गर्म करने की कोशिश करती थीं. इस वजह से धीरे धीरे मेरी भी सेक्स में रूचि बढ़ गई थी.


अब सेक्स में मन लगने लगा था तो मैं गर्म कहानियां या चुदाई के वीडियो देख कर अपनी चूत को उंगली से सहलाने लगी थी.


इसके अलावा मेरे पास कोई रास्ता ही नहीं था क्योंकि मेरे साथ कोई लड़का सैट ही नहीं हो पा रहा था. अब जबकि मेरे पास कोई रास्ता नहीं था तो मैं लगभग रोजाना पॉर्न देख कर अपनी प्यास को शांत कर लेती थी.


फिर एक वो दिन आया, जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी. दोपहर के वक़्त अम्मी घर पर नहीं थीं और उस दिन अब्बू ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे.


उनके आने की आवाज सुनकर मैं अपने रूम से हॉल में आई. अब्बू अपने कमरे में चले गए थे.


मेरा मन हुआ कि मैं अब्बू से बात करूँ तो मैं उनके रूम में जाने लगी.


अब जैसे ही मैंने रूम का दरवाजा खोला, तो देखा अब्बू एक तौलिया लपेटे हुए थे. मैं उन्हें देख कर जाने लगी.


अब्बू ने मुझे देख लिया और पूछा- अरे रियासा बेटी क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं अब्बू, बस आपसे ऐसे ही मिलने आई थी.


अब्बू ने कहा- तो फिर जा क्यों रही हो, बैठो! मैंने भी सोचा कि चलो तौलिये में ही अब्बू का लंड ढूँढने की कोशिश की जाए.


चूंकि मैं पूर्ण वयस्क हो चुकी थी और सहेलियों की वजह से सेक्स कहानी पढ़ने लगी थी. पर अभी तक किसी का लंड देखने का सौभाग्य मुझे नहीं मिला था.


मैंने कुछ सेक्स कहानी अब्बू और बेटी की चुदाई की कहानियां भी पढ़ी हुई थीं.


पहले तो मैंने सोचा कि अब्बू का लंड देखना ठीक नहीं है, लेकिन फिर ये लगा कि सिर्फ़ देख ही तो रही हूँ. कौन सा मुँह में या बुर में ले रही हूँ.


मैं बैठ गई. मेरे अब्बू देखने में बहुत ही हैंडसम हैं. उनकी पौने छह फुट की हाइट, चौड़ा सीना और गोरा रंग है. मेरी मां से शादी उन्होंने सिर्फ़ सरकारी जॉब की वजह से की थी.


अब्बू ने पूछा- हां बताओ रियासा, तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है? इधर मैं बस उनके तौलिया में छिपे लंड को ही घूर रही थी.


अब्बू ने फिर से पूछा तो मैंने बताया- अब्बू सब ठीक चल रहा है.


मैं तौलिया को घूर कर बस यह सोच रही थी कि क्या पता इस तौलिया के अन्दर अब्बू का लंड कितना बड़ा होगा. क्योंकि बाहर से तो उनके लौड़े का बहुत बड़ा आकार दिखाई दे रहा था.


फिर अब्बू अलमारी के पास पहुंचे. वे शायद कपड़ों के लिए गए थे.


अलमारी बंद करते समय उनका तौलिया दरवाज़े में अटक कर गिर गया और अब्बू नंगे हो गए. मैंने देखा कि एक विशाल आकार का लौड़ा वहां पर आराम कर रहा था.


मुझसे देख कर रहा नहीं जा रहा था. मेरे मुँह में पानी आ रहा था. बस दिल कर था कि अब इस लंड को अपने मुँह से गीला करके अपनी कुंवारी चूत में ले लूं. पर क्या करती … अब्बू का लंड जो था.


जैसे ही उनका तौलिया गिरा, अब्बू ने जल्दी करते हुए तौलिया को उठा कर दोबारा से अपनी कमर पर बांध लिया.


मैं भी थोड़ी शर्माने की एक्टिंग करती हुई वहां से निकल गई. अब्बू के कमरे सीधे अपने कमरे में आकर मुझसे रहा नहीं गया.


मैंने मोबाइल में पॉर्न लगाई और अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया. पर अब तो चूत को बस लंड की लगन लग गई थी.


बिना लंड लिए तो जैसे मेरी चूत शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी. थोड़ी देर बाद मैं जब बाहर निकली तो देखा कि अब्बू ड्रॉइंग रूम में बैठे हुए थे.


मुझे उस समय न जाने क्या भूत सवार हो गया था कि बस अपने अब्बू के लौड़े से ही चूत चुदवाने का बहुत मन हो गया था.


पर वे मेरे अब्बू थे तो मैं सीधे तो नहीं कह सकती थी कि ‘आओ अब्बू अपनी बेटी को चोद दो.’


अब मैंने तरक़ीब खोजनी शुरू कर दी कि कैसे अब्बू को अपने करीब किया जाए.


मैं अब्बू से पहले से ही बहुत खुली हुई थी. कुछ समय पहले तक तो हम साथ में खूब मस्ती किया करते थे. मैंने सोचा कि वहीं से शुरूआत की जाए.


मैं अब्बू के पास जाकर बैठ गई. अब्बू ने कहा- बेटी अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ, उसके लिए सॉरी! मैंने कहा- कोई बात नहीं अब्बू. यह कहते हुए मैं मुस्कुरा दी.


फिर मैंने अब्बू से कहा- अब्बू अब आप पहले जैसे नहीं रहे! अब्बू ने कहा- क्या हो गया मेरी परी को … मैंने कौन सी गलती कर दी? मैंने कहा- अब आप मेरे साथ पहले की तरह मस्ती नहीं करते हैं. ऐसा कह कर मैं उनकी गोद में बैठ गई.


अब्बू ने भी मेरी कमर में से हाथ डाल कर पेट पर दबाव डालते हुए मुझे पीछे को खींच लिया, कहा- अब मेरी परी बड़ी जो हो गई है. उसका तो अब्बू पर ध्यान ही नहीं है. मैंने कहा- नहीं अब्बू, अब वक़्त कहां मिलता है.


यह कहते हुए मैंने अपनी गांड को उनके लौड़े पर रगड़ी और सैट करते हुए पूरी तरह से अब्बू के लंड पर अपने चूतड़ों की दरार को रख दिया.


अब्बू ने भी शायद कुछ महसूस करते हुए कहा- अरे मेरी परी इतनी बिज़ी कब से हो गई? यह कहते हुए उन्होंने मेरे पेट पर दबाव बढ़ाया और मेरी गर्दन में अपने मुँह से गुदगुदी करने लगे.


उस समय उन्होंने एक नाइट पैंट पहन रखी थी जिसकी वजह से मुझे उनका लंड महसूस होना शुरू हो गया था. मैंने भी उनके लंड पर और दबाव डालने की कोशिश करनी शुरू कर दी.


अब्बू भी शायद समझ गए थे कि मैं क्या कर रही हूँ. पर उन्होंने भी मुझे रोकना नहीं चाहा तो मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी.


अब मैंने अपनी गांड अब्बू के लंड पर मसलना शुरू कर दी और मेरे अब्बू भी मेरी हरकत को एंजाय करने लगे थे. वे भी अपनी गर्दन को बस मुँह से गुदगुदा रहे थे.


मैं पलट कर बोली- हां, मैं ऐसे अब्बू की ही बात कर रही थी.


अब्बू ने मेरी कमर हाथ डाल कर मुझे फिर से गोद में खींच लिया और अब सीधी तरफ से अपनी तरफ कर लिया. वे मेरे गालों को चूमने लगे और अपने हाथों से मेरी कमर को मसलने लगे.


मैं अपनी चूत से उनका लंड ढूँढने लगी. उनका लंड फुंफकारने लगा था और मुझे काफी सख्त लगने लगा था.


कुछ ही देर में हम दोनों बहुत ही गर्म हो चुके थे. बस अब एक दूसरे को बोल कर कपड़े उतरने भर की देर थी.


साला उसी समय के एल पी डी हो गई. दरवाज़े की घंटी बज उठी.


ये मां थीं, जो अपनी ड्यूटी खत्म करके घर लौट आई थीं. आज शायद वे भी कुछ जल्दी घर वापस आ गई थीं और इधर हम दोनों को साथ में मस्ती करते हुए वक़्त का पता ही नहीं चला था.


अम्मी ने मुझे आवाज लगाई तो हम दोनों ने एक दूसरे को अलग किया, कपड़े ठीक करते हुए मैंने जाकर दरवाज़ा खोला. फिर मां अन्दर आ आईं.


हम दोनों ने मां से बात की और अलग हो गए. मैं अपने कमरे के बाथरूम में जाकर अपनी गीली हो चुकी पैंटी को बदलने लगी और अब्बू के लंड को याद करती हुई चूत को सहलाने लगी.


कुछ देर बाद डिनर टाइम हुआ तो हम तीनों खाना खाने के लिए बैठ गए. खाना खाते हुए मां ने बताया कि अब कल से उनकी नाइट शिफ्ट रहेगी.


यह तो मेरे लिए सोने पर सुहागा वाली बात थी. ये सुनते ही मैंने अब्बू की तरफ़ देखा तो अब्बू भी मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. फिर हम सब सोने चले गए.


अब तो मेरे लिए रात निकालना बहुत ही मुश्किल हो गया था. मैंने ये सोच कर फिंगरिंग की कि शायद आज की रात चूत के लिए लौड़े की प्यास की आखिरी रात हो और इस कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी की शुरुआत हो जाए.


अगले दिन मैं सुबह जल्दी उठ गई और कॉलेज के लिए तैयार होने लगी.


उतने में मेरे पास अब्बू आए और कहने लगे कि उनकी गाड़ी चाबी मिल नहीं रही है, तो कॉलेज जाते वक़्त मैं उन्हें छोड़ दूँ और वापस आते समय भी वे मेरे साथ में ही आ जाएंगे.


ये सुनते ही मैं भी खुश हो गई और झट से हां कह दी. फिर हम लोग नाश्ता करके बाहर निकल आए. मैंने अपनी स्कूटी निकाली और अब्बू को बैठने को कहा.


अब्बू ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर मेरी गांड पर अपने लंड को लगा दिया. हम दोनों पूरे रास्ते एंजाय करते जा रहे थे.


मेरा कॉलेज आगे था. पहले अब्बू का ऑफिस आ गया.


अब्बू ने उतरते हुए कहा कि मैं भी ऑफिस से जल्दी निकल आऊंगा. हम दोनों साथ में ही घर वापस चलेंगे. मैं ओके कह कर अब्बू को बाय कहा और कॉलेज निकल गई.


कॉलेज में मैं बस आज रात के बारे में सोचने लगी. सोचते सोचते कब कॉलेज में टाइम निकल गया, कुछ पता ही नहीं चला.


अब्बू का कॉल आया- मैं ऑफिस से बाहर निकल आया हूँ. बस तेरे कॉलेज के पास आ रहा हूँ. मैं भी कॉलेज के बाहर आकर खड़ी हो गई.


फिर अब्बू आए और मेरे पीछे से बैठ गई. मैं गाड़ी चलाने लगी और हम दोनों ने फिर से मज़े लेना शुरू कर दिया.


मुझे रास्ते में एक अंडरगार्मेंट्स की शॉप दिख गई, तो मैंने सोचा कि आज पहला सेक्स होगा तो क्यों ना कुछ नया ट्राई किया जाए.


मैंने स्कूटी रोक कर अब्बू से कहा- मुझे अंडरगार्मेंट्स की शॉपिंग करनी थी, पर आपके साथ … इतने में अब्बू बोले- तो क्या हुआ, लेने तो मुझे भी हैं. आओ देखते हैं.


फिर हम दोनों साथ में गए और देखने लगे.


मैं रेग्युलर ब्रा और पैंटी देख रही थी. लेकिन अब्बू ने कहा कि अरे ऐसी क्यों देख रही हो. थोड़ी फ़ैन्सी सी देखो ना!


ऐसा कहते हुए वे मुझे नेट वाली ब्रा पैंटी के सैट लेने की कहने लगे. दुकानदार ने नेट वाली ब्रा पैंटी के सैट दिखाने शुरू कर दिए.


अब्बू ने कहा- हां ये सही हैं. देखो इसमें से कौन सी अच्छी है? मैंने कहा कि अब आप ही बता दो.


उन्होंने एक रेड कलर का सैट उठा कर कहा- यह वाली अच्छी लगेगी तुम पर! मैंने कहा- तो फिर ठीक है.


अब्बू ने मुझसे मेरा साइज़ पूछा तो मैंने कहा- मेरा 34-28-36 का साइज़ है. वे कहने लगे- अरे वाह देखते देखते हमारी परी कितनी बड़ी हो गई है.


फिर हम वहां से शॉपिंग करके निकल गए.


घर जाकर मैं फ्रेश हुई और नई वाली ब्रा पैंटी पहन कर अपने अब्बू के लौड़े से चुदने के लिए रेडी हो गई.


अब बस इंतज़ार था कि मां घर से कब जाती हैं. करीब 9 बजे साथ में हम सबने डिनर किया और मां ऑफिस चली गईं.


घर में अब मैं और मेरे अब्बू ही थे. हम दोनों एक दूसरे को नज़र चुरा कर देख रहे थे.


अब्बू ने कहा कि मैं मेडिकल स्टोर जाकर अभी आता हूँ. वे मुझसे पूछने लगे कि तुम्हें चॉकलेट ज़्यादा पसंद है या स्ट्रॉबेरी?


मैंने कहा- दोनों. वो ‘ठीक है.’ कह कर निकल गए.


कुछ देर बाद अब्बू घर लौट आए और मुझे हाथ में चॉकलेट वाला पैकेट देकर कहने लगे कि ये लो स्टोर में चॉकलेट ही मिली, स्ट्रॉबेरी में कुछ नहीं था.


मैंने ओके कह कर ले लिया और वे मुझसे कहने लगे- आओ हम साथ में कोई मूवी देख लेते हैं.


दोस्तो, आज रात में अब्बू ने मेरे साथ किस तरह से चुदाई की शुरुआत की और मेरी चूत का क्या हाल हुआ. वो सब मैं आपको अपनी कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.


आपको कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज बताएं. [email protected]


कॉलेज गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग:


Teenage Girl

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