मकान मालकिन पटकर चुद गयी

यश 1994

10-01-2024

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हॉट भाभी Xxx स्टोरी में मेरे मकान मालिक की जवान बीवी की चुदाई अच्छे से नहीं होती थी. मैं उसके बाजार के काम कर देता था तो हम दोनों दोस्त बन गए.


दोस्तो, मैं यश जोधपुर से हूँ. मेरी उम्र 30 साल है और हाईट 5’7″ है.


यह हॉट भाभी Xxx स्टोरी मेरे और मेरी मकान मालकिन के बीच की है. मैंने उनको कैसे पटाया और चोदा, उसका वर्णन आप मेरी इस पहली सेक्स कहानी में पढ़ने वाले हैं.


मैं अपने एक दोस्त के साथ जोधपुर में किराए के मकान में रहता हूँ.


मेरे मकान मालिक की फैमिली में उनके 2 छोटे बच्चे हैं. वे स्कूल जाते हैं. घर पर उनकी वाइफ रहती हैं.


मकान मालिक का खुद का कारोबार है. उसमें ज्यादातर टूर का ही काम रहता है.


हमने ऊपर वाला रूम किराये पर लिया है और उसका रास्ते अन्दर और बाहर दोनों तरफ से है.


एक दिन मकान मालिक ने हम दोनों से कहा- मैं 15 दिन के लिए टूर पर जा रहा हूँ. आपकी भाभीजी को किसी भी चीज की जरूरत हो, तो प्लीज लाकर दे देना. हम दोनों ने हामी भर दी.


मेरा दोस्त बोला- ठीक है भैया … आप आराम से जाओ किसी बात की चिंता मत करना. हम दोनों हैं, सब देख लेंगे.


अब मैं आपको मकान मालकिन के बारे में बता दूँ. उनका नाम कविता है और उनकी उम्र 35 साल होगी. उनका बदन 34-30-36 आकर का है. देखने में वे कांटा माल हैं.


भैया के जाने के 4 दिन बाद भाभीजी को मार्केट जाना था.


उस दिन मैं घर पर था और दोस्त ड्यूटी पर गया हुआ था.


तब भाभीजी ने मुझसे कहा- यश आप मेरे साथ मार्केट चल सकते हो क्या? मैंने कहा- हां, क्यों नहीं भाभी जी.


हम दोनों बाइक लेकर जोधपुर के त्रिपोलिया साइड में जा रहे थे.


वहां पर भीड़ के कारण मुझे बार बार बाइक के ब्रेक लगाने पड़ रहे थे. उस वजह से भाभीजी के बूब्स बार बार मेरी पीठ से टच हो रहे थे. उनकी रसीली चूचियों का स्पर्श होने से मुझे मजा आने लगा था.


ऐसे ही ब्रेक लगाते और चूचों की रगड़ का मजा लेते हुए मैं भाभी के साथ मार्केट में पहुंच गया.


वहां से भाभीजी ने सामान लिया और हम दोनों वापस रवाना हो गए थे.


वापस आते समय भी ब्रेक मारने पड़ रहे थे. इस बार भाभीजी मेरी पीठ से चिपक कर बैठ गई थीं. उनका एक हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया था.


फिर मैंने भाभीजी से कहा- भाभी जी, आप कुछ पियेंगी? वे कहने लगीं- क्या पिला रहे हो? मैंने कहा- चलो जूस पीते हैं. भाभीजी ने कहा- हां चलो.


हम दोनों जूस वाली दुकान पर चले गए.


जूस पीते पीते मैंने भाभीजी से पूछ लिया- भाईसाहब आपको 15 दिन तक अकेले छोड़ कर चले जाते हैं, तो आपका मन कैसे लगता है? तब उन्होंने कहा- उनका काम सिर्फ पैसे कमाने का रह गया है … उनका और कहीं ध्यान ही नहीं रहता है.


यह कहती हुई भाभीजी थोड़ी उदास हो गईं. मैंने उनसे कहा- अरे आप टेंशन मत लो, जो होगा अच्छा ही होगा.


वे कहने लगीं- अरे क्या अच्छा होगा, जब समय ही बीत जाएगा, तब क्या बचेगा. उनकी बात का मर्म मैंने खूब समझ लिया था कि जवानी का मजा बुढ़ापे में कैसे लिया जा सकता है.


यही समझ कर मैंने बोल दिया- आप चिंता क्यों करती हैं भाभी, मैं हूँ ना आपका देवर. कभी किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बता दीजिएगा.


इस पर भाभी जी हंसने लगीं और मुझे देखने लगीं. उनकी आंखों की शोखी बता रही थी कि वे मुझे परखने को रेडी हैं.


फिर इसी तरह की चुहलबाजी के चलते जूस खत्म किया और हम दोनों ने वापस अपनी चिपक कर बैठने वाली पोजीशन बनाई और इस बार भाभी ने कुछ ज्यादा ही अपनापन दिखाते हुए मुझे अपने हाथ से पकड़ लिया. उनकी चूचियों का रस लेता हुआ मैं उन्हें लेकर घर वापस आ गया.


घर पर आकर भाभीजी ने बोला- यश, आप अपना नम्बर मुझे दे दो. मैंने झट से अपना नम्बर भाभी को दे दिया.


रात को मैं व्हाट्सअप चला रहा था. तब भाभी का मैसेज आया- हाय. मैंने नंबर की प्रोफाइल चैक की, तब पाया कि ये भाभीजी थीं.


मैंने भी झट से मैसेज किया- हां जी भाभीजी!


उनका फिर से मैसेज आया- सोये नहीं क्या? तो मैंने रिप्लाई दिया- नहीं भाभी जी … अभी नहीं सोया हूँ.


भाभी- किससे बातें कर रहे हो? मैं- एक फ्रेंड से.


भाभीजी- फ्रेंड से या गर्लफ्रेंड से! मैं- नहीं भाभी जी, फ्रेंड से ही कर रहा हूँ.


भाभीजी- क्यों, आपकी गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? मैं- नहीं भाभीजी, ऐसा कुछ नहीं है.


भाभीजी- झूठ मत बोला करो, आपकी गर्लफ्रेंड नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता है. मैं- अरे भाभी जी विश्वास कीजिए … मुझे अभी तक वैसी कोई मिली ही नहीं, जैसी मुझे चाहिए.


भाभीजी- हम्म … कैसी चाहिए? मैंने समझ लिया कि भाभी मूड में हैं इसलिए मैंने लिख दिया कि आपकी जैसी मिल जाए.


भाभीजी- आप मज़ाक अच्छा करते हो. मैं- नहीं भाभी, मैं मज़ाक नहीं कर रहा … सच कह रहा हूँ.


भाभीजी- अच्छा आपको मेरी जैसी चाहिए … मतलब आपको मैं पसंद हूँ. मैंने झौंक में लिख दिया- हां जी.


भाभीजी- ठीक है यश, अभी उनका कॉल आ रहा है … मैं बाद में बात करती हूँ. यह बोल कर भाभीजी ने मैसेज लिखना बंद किया और शायद अपने पति से बात करने के बाद सो गईं.


सुबह हुई, तो मैं उनसे काम पर जाते वक़्त मिला और हैलो बोला कर पूछा- भाभी जी कुछ लाना है क्या मार्केट से? तब भाभीजी ने कहा- अगर कुछ लाना होगा, तो मैं आपको मैसेज कर दूंगी. मैंने बोला- हां ठीक है भाभीजी.


दोपहर में मेरे फ्रेंड का कॉल आया. उसने बताया कि दादाजी की तबियत बहुत ज्यादा खराब है, मैं गांव जा रहा हूँ. मैंने कहा- ठीक है.


शाम को भाभीजी ने सब्जी लाने के लिए मैसेज किया और लिखा- आपके साथ वाले विजय जी गांव चले गए हैं, आज आप खाना मेरे यहां खा लेना. मैंने कहा- अरे आप क्यों तकलीफ कर रही हो भाभीजी, मैं बना लूंगा.


उन्होंने कहा- इसमें तकलीफ की क्या बात है, मैं भी आपको काम बताती हूँ … तब आप करते ही हो न! मैंने कहा- ओके भाभी.


फिर जब मैं घर गया तो मैंने सब्जी का थैला भाभी को पकड़ा दिया और फ्रेश होने ऊपर चला गया. गर्मी बहुत थी तो स्नान करके ऐसे ही लेटा हुआ था.


तब भाभीजी का मैसेज आया- ऊपर अकेले हो, नीचे आ जाओ … और हां अन्दर वाले रास्ते से आना, वह खुला है.


मैं अन्दर वाले रास्ते से नीचे चला गया. भाभीजी ने उस समय मैक्सी पहनी हुई थी, क्या मस्त माल लग रही थीं.


मैंने नीचे जाकर पूछा- बच्चे कहां गए भाभी? तब उन्होंने बताया- दोनों बच्चे उनके मामा के घर गए हैं क्योंकि कल संडे है इसलिए वे जाने की कह रहे थे.


अब हम दोनों बातें करने लगे.


फिर भाभीजी ने पूछा- आप रात में क्या बोल रहे थे कि आपकी जैसी मिली नहीं और मेरी जैसी आपको पसंद है … वह सब क्या कह रहे थे? मैंने उनके मूड को भांप लिया और कहा- हां, आपकी जैसी ही मुझे पसंद आने वाली है. काश आप मिल जातीं, तो मैं तो आपको छोड़ कर कभी कहीं नहीं जाता. हमेशा आपके साथ ही रहता.


भाभीजी ने कहा- ऐसा आपको मेरे में क्या पसंद आ गया है? तब मैंने बोला- आपका तो मुझे सब कुछ पसंद है.


तो भाभीजी ने पूछा- सबसे ज्यादा क्या पसंद है? मैंने कहा- आपके बूब्स.


तो भाभीजी ने बोला- हां उस दिन मार्केट गए थे तो क्या इसी लिए बार बार ब्रेक मार रहे थे आप? मैं हंसने लगा और भाभीजी भी हंसने लगीं.


मैंने उसी टाइम भाभीजी का हाथ पकड़ कर बोल दिया- आई लव यू भाभीजी. भाभीजी ने बोला- लव भी करते हो और भाभीजी भी बोलते हो!


तब मैंने बोला- आई लव यू कविता! फिर उन्होंने भी कहा- लव यू टू यश!


भाभीजी को मैंने पकड़ कर किस कर दिया और भाभीजी खुद साथ देने लगीं. उस समय भाभीजी ने कहा- यश अपने पास पूरी रात पड़ी है, पहले खाना खा लेते हैं.


हम दोनों ने साथ में खाना खाया. उस समय बातों बातों में भाभीजी ने बोला- विजय जी जा रहे थे, तभी मैंने बच्चों को ननिहाल भेज दिया था … आज आपसे मिलना था ना इसलिए!


खाना के बाद कविता भाभी बर्तन धो रही थीं. तब मैं उनके पीछे गया और उनको पकड़ कर किस करने लगा.


मैं उनसे चिपका हुआ था, तो मेरा लंड कविता भाभी की गांड में घुस रहा था.


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मेरे लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया था और भाभी को लौड़े की सख्ती का अहसास होने लगा था. वे मेरे साथ मस्ती से चिपकी हुई थीं और उनके दोनों चूतड़ों की गर्मी मेरे लौड़े में सनसनी भर रही थी.


ऐसे ही हम दोनों चिपक कर बातें कर रहे थे. भाभी ने अपना काम खत्म करके कहा- चलो कमरे में चलते हैं.


हम दोनों उनके रूम में आ गए.


रूम में आते ही मैंने भाभी की मैक्सी उतार दी. अब कविता भाभी सिर्फ मैक्सी में थीं. उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था. मैंने पूछा- अन्दर कुछ नहीं पहना?


वे हंस कर बोलीं- वैसे भी तुम सब उतारने वाले थे तो क्यों पहनना! हम दोनों हंसने लगे.


मैं कविता भाभी को किस करने लगा. वे भी पूरी गर्मजोशी से मेरा साथ दे रही थीं.


मैं उन्हें लिप किस करता रहा और उनके दूध सहलाता रहा. भाभी के होंठ बड़े ही रसीले थे. मैं शब्दों में नहीं बता सकता.


फिर कविता भाभी ने मेरे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी नंगा कर दिया. वे मुझ पर भूखी बिल्ली के जैसी टूट पड़ी थी, ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों से प्यासी हों.


हम दोनों किस कर रहे थे, फिर मैं उनके चूचे चूसने लगा. क्या मस्त बूब्स थे यार … पूछो मत!


कविता भाभी ‘आह अहाहा अहाहा …’ कर रही थीं. चूचियां चूसते हुए ही मैंने अपनी एक उंगली Xxx हॉट भाभी की चूत में डाल दी और दाने को रगड़ने लगा.


मैं बूब्स भी चूस रहा था और चूत भी रगड़ रहा था.


कविता भाभी को बहुत मजा आ रहा था; वे लगातार आह आह कर रही थीं.


फिर मैंने उनकी नाभि पर किस किया तो वे उछलने लगी थीं. मैं और नीचे आता गया और धीरे से भाभी की चूत को चाटने लगा.


चूत पर मेरी जीभ को पाते ही वे और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं ‘आआह यश आह मर गई मैं … आह क्या कर रहे हो आह.’ वे मेरे सर को अपनी चूत पर खुद से दबा रही थीं.


मैंने कुछ मिनट तक उनकी चूत को चूसा तो उनका रस निकल गया. मैंने चूत का रस चाट लिया. बड़ा ही नमकीन स्वाद था.


Xxx भाभी ने कहा- सच में यश, बहुत मजा आया … आज तक मेरे पति ने नहीं चूसी.


मैंने उनसे लंड चूसने के लिए कहा. तब उन्होंने झिझकते हुए कहा- मैंने भी कभी नहीं किया है ऐसा, पर आज जरूर करूंगी.


मैंने उनके मुँह में लंड दे दिया. भाभी ने बहुत जोर जोर से लंड को चूसना शुरू कर दिया. उनके लंड चूसने से मेरे मुँह से भी आह आह निकलने लगा था.


कुछ देर के बाद भाभी ने कहा- अब ज्यादा इंतजार मत करवाओ यार, मुझे चोद दो … जोर जोर से चोद दो.


मैंने भाभी की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी चूत में लंड डाल दिया. वे आह कहती हुई लंड लील गईं और मैं उन्हें जोर जोर चोदने लगा.


कविता भाभी अपनी दोनों टांगें उठाए हुई लंड का मजा ले रही थीं ‘आह आह यश मजा आ गया … आह और जोर जोर से करो मेरी जान.’ वे मुझे चूमने लगीं और दस मिनट में उनका पानी निकल गया.


मैं हॉट भाभी को अभी भी जोर जोर से चोद रहा था.


फिर जब मेरा पानी निकलने वाला था, तब मैंने पूछा- रस कहां डालूँ? उन्होंने कहा- अन्दर ही छोड़ दो. मैं अपने प्यार का रस महसूस करना चाहती हूँ.


बस 10-15 झटकों साथ में भी डिस्चार्ज हो गया और कविता भाभी के ऊपर ही लेट गया.


कविता भाभी ने मेरे कान में कहा- सुहागरात वाली रात को इतना मजा नहीं आया था, जितना आज आया है. आई लव यू यश. मैंने भी बोला- लव यू टू कविता डार्लिग.


उस रात मैंने कविता भाभी को कई बार चोदा और बाद में उनकी गांड भी मारी. उन्होंने पहली बार अपनी गांड मरवाई थी.


यह सिलसिला एक साल तक चला. फिर मैंने रूम चेंज कर लिया.


दोस्तो, ये मेरी रीयल हॉट भाभी Xxx स्टोरी है. आपको कैसी लगी, मुझे मेल जरूर करें. [email protected]


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