हम दोनों भाइयों ने चाची को खूब चोदा- 3

पंकज टीचर

19-02-2024

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हॉट चूत फकिंग स्टोरी में मेरे बड़े भाई ने हमारी सेक्सी चालू चाची को अस्पताल में चोदा जब उनका बेटा वहां दाखिल था. चाची तो पहले ही लंड की भूखी थी, मौक़ा मिलते ही चाची मान गयी.


कहानी के दूसरे भाग मेरे बड़े भाई ने चाची को पटा लिया में आपने पढ़ा कि


भयंकर चूत चुसाई के बाद चाची ने भाई का सर अपनी चूत में खूब कस कर दबाया और अपने पैरों को मोड़कर बलराम भाई की गर्दन में लपेट दिया और जल्दी ही अपना वीर्य भाई के मुंह में निकाल दिया।


बलराम भाई चाची की चूत का एक एक कतरा चूस गए और चाट चाट कर चाची की चूत को लाल कर दिया।


अब आगे हॉट चूत फकिंग स्टोरी:


चाची ने बलराम भाई को ऊपर उठाया और फिर से एक बार होंठों से होंठों का मिलन हो गया। इस धुआंधार होंठों की चुसाई में बलराम भाई का लंड खड़ा होकर मोनिका चाची की चूत में घुसने की कोशिश करने लगा।


चाची ने अपने एक हाथ से भाई का लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और कमर हिलाकर इशारा किया ही था कि भाई ने एक जबरदस्त झटका मारकर आधे से ज्यादा लंड चाची की चूत में पेल दिया। मोनिका चाची के मुंह से सिसकारी भारी आह निकल गयी।


जब लंड चूत में घुसते हुए चूत की दीवारों से रगड़ कर लंड के आगे वाली चमड़ी को हटाता है तो लंड और चूत दोनों को जो आनंद आता है. उसे कोई भी लेखक शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता है।


कुछ ऐसा ही आनंद मोनिका चाची को मिल रहा था जो ‘फ़क मी … फ़क मी’ बोलती हुई बलराम भाई की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खूब जोर जोर से धक्का लगवा रही थीं।


बलराम भाई ने चाची के होंठों से लेकर चूत तक कितनी जगह काटा था यह किसी को होश नहीं था।


अस्पताल का बेड चुदाई के कारण जोर जोर से हिल कर खिसक रहा था। चुदाई की रफ़्तार इतनी तेज थी की अस्पताल का बेड अगर लोहे का नहीं होता तो शायद टूट जाता।


भाई पूरे जोर से चाची की चूत का भोसड़ा बनाने पर तुले हुए थे। दोनों जांघों के लड़ने से पट्ट पट्ट की आवाज, चूत से कामरस निकलने की फ़च फ़च आवाज और सिसकारियों से पूरा कमरा भर गया था।


जैसे लंड चूत में घुसता तो चाची कमर उठा कर अपनी तरफ से भी धक्का मारती. और जब बलराम भाई कमर पीछे करके लंड थोडा सा बाहर निकालते तो चाची भी अपनी कमर को पीछे कर लेती फिर दोनों एक साथ धक्का मारते जिससे लंड चूत में पूरा अन्दर तक जाकर पूरी चूत को हिला देता था।


बहुत देर तक घमासान हॉट चूत फकिंग चलती रही. दोनों एक दूसरे के अन्दर समाने की कोशिश करते रहे.


और अंत में चुदाई का वो सैलाब आया जिसमें भाई ने पूरी ताकत से धक्का मारकर लंड को चूत की जड़ तक पेल दिया और अन्दर ही अपने लंड से वीर्य निकाला जो सीधा चाची की बच्चेदानी से जा टकराया।


चाची का भी वीर्य फ़चा फ़च निकलता रहा और दोनों के वीर्य से चाची की चूत भर गयी।


वीर्य चाची की चूत से निकल कर गांड की दरार से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा।


काफी देर तक वीर्य बहता रहा और दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों में कस कर उस पल का सुख भोगते रहे।


15-20 मिनट तक ऐसे लेटे रहने के बाद बलराम भाई फिर से चाची के होंठों को चूसने लगे।


चाची ने भाई को इशारे से अपने ऊपर से हटाया और पेटीकोट से अपनी चूत को पौंछती हुई लड़खड़ाते क़दमों से बाथरूम की तरफ चल पड़ीं।


मोनिका चाची के बाथरूम से वापस आने पर एक बार फिर से चुदाई का घमासान दौर चला और इस बार फिर बलराम भाई ने मोनिका चाची की चूत में अपना पानी झाड़ कर चाची की चूत का भोसड़ा बना दिया।


सुबह जब दोनों अस्पताल से वापस आये तो काव्य ठीक था. लेकिन चाची की जबरदस्त चुदाई होने के कारण ऐसा लग रहा था कि चाची ही बीमार हैं।


खैर अब चुदाई का सिलसिला चल पड़ा तो रुकने का नाम नहीं लिया। अगले पंद्रह दिन बाद से बलराम भाई का एग्जाम शुरू था लेकिन चाची की चूत की आगे भाई को एग्जाम की कोई परवाह ही न थी।


मैं बार बार बलराम भाई से कहता- मुझे भी चाची को चोदना है लेकिन साले ने मेरी एक न सुनी। जब मैंने बहुत जोर दिया तो उसने बिना चाची से पूछे ही कहा कि चाची नहीं मान रही हैं।


मैं भी उदास मन से बलराम भाई की रोज रोज चुदाई की कहानी सुनकर मुट्ठ मार मारकर अपने लंड का पानी निकालने लगा।


बलराम भाई की परीक्षा संपन्न हो गई और मेरे स्कूल की पढ़ाई फिर से शुरू हो गयी।


एक महीने के बाद मेरा भी एग्जाम होने वाला था जिससे मैं पढ़ाई पर जुट गया और बलराम भाई चुदाई पर जुट गए।


घर की बात होने के नाते किसी ने बलराम भाई पर शक भी नहीं किया इसी का फायदा उठाकर बलराम भाई ने चाची को दो बार प्रेग्नेंट कर दिया और मजबूर होकर दोनों बार दवा खिलाकर किसी तरह से मामले को शांत किया गया।


मेरा एग्जाम भी हो गया लेकिन बलराम भाई की चुदाई ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी।


मेरी चुदक्कड़ मोनिका चाची को भी घर में लंड मिल गया था जिससे वो हमेशा चुदाई करवाकर खुश नजर आती। एक साला मैं था जो अभी तक मुट्ठ मारकर काम चला रहा था।


कुछ दिन बाद बलराम भाई का रिजल्ट आया जिसमें वह दो विषयों में फेल हो गया था। सब लोग बहुत दुखी हुए लेकिन बलराम को जरा भी फर्क नहीं पड़ा। उसे तो बस चाची की चुदाई से मतलब था।


धीरे धीरे मेरी दादी को शक हो गया कि बलराम भाई चाची को दिन रात चोद रहे हैं. अतः उन्होंने निगरानी करनी शुरू कर दी।


एक रात को जब बलराम भाई चाची को चोदकर उनके कमरे से बाहर आ रहे थे, तभी मेरी मम्मी और दादी ने उन्हें पकड़ लिया। अब तो हुआ खूब जबरदस्त हंगामा।


मेरी मम्मी ने गली देते हुये चाची को कहा- न जाने इस रंडी के भोसड़े में कितनी प्यास है जो इतने लोगों से चुदवाने के बाद भी नहीं मिट रही है। इसी रांड के कारण मेरा बेटा फेल हुआ है।


उधर से चाची ने भी खूब गाली- गलौज किया।


शाम को पापा जब दुकान से घर आये तो उन्होंने बलराम भाई को खूब मारा और तुरंत ही रमेश चाचा को फोन करके मोनिका चाची के रंडीपना के बारे में बताया।


उस वक्त रमेश चाचा और मोनिका चाची में फिर से फोन पर झगड़ा होने लगा। अगले ही दिन पापा ने बलराम भाई को नानी के यहाँ भेज दिया।


बलराम भाई के जाने के बाद अब मैं चाची पर डोरे डालने लगा।


चाची अक्सर काव्य को मेरे ही सामने दूध पिलाती थीं और मैं उनकी गोरी गोरी चूचियों को निहारता रहता था।


कई बार तो मैंने भी दूध पीने को कह दिया लेकिन चाची मुझे छोटा समझकर मेरी बातों को हंसकर टाल देती थीं।


मम्मी से झगड़ा होने के कारण मोनिका चाची अलग खाना बनाने लगी थी और मेरी मम्मी ने मुझे मोनिका चाची के पास जाने से मना कर दिया था। मेरी मम्मी को डर था की बलराम भाई की तरह चाची मुझे भी बर्बाद न कर दें।


लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था। बलराम भाई के जाने के बाद तो मुझे इतना बढ़िया मौका मिला था जिसे मैं इतनी आसानी से नहीं गंवाना चाहता था।


मैंने चाची को पटाने की कोशिश जारी रखी लेकिन कोई काम न बनता देख मैंने हॉट चूत फकिंग के लिए एक प्लान बनाया।


अगले दिन जब चाची नहाने बाथरूम में गयी तो मैंने एक कटोरे में ठंडा पानी लिया और दूसरे में गर्म पानी लेकर काव्य के दोनों पैरों को दोनों कटोरे में डाल दिया।


चाची को नहाने में लगभग पौना- एक घंटा लगता ही है, इतने में मेरा काम हो चुका था।


चाची के निकलने से पहले ही मैंने पानी फेंक दिया और आराम से क्रिकेट खेलने निकल लिया।


लगभग तीन-चार घंटे के बाद दादी मुझे बुलाने आयीं कि काव्य की तबीयत खराब है, उसे बुखार हो गया है और तुरंत ही उसे डाक्टर के पास ले जाना है।


यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और तुरंत ही घर की तरफ चल दिया।


घर पंहुचा तो देखा कि चाची तैयार होकर मेरा इन्तजार कर रही हैं। उनको देखकर मैंने उनके सामने ही लंड मसल दिया और बाइक से चाची और काव्य को लिवा कर हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा।


हॉस्पिटल पहुँचने में शाम हो गयी तो डाक्टर ने बुखार ज्यादा होने की वजह से आज रात में रुकने को कह दिया। मैं तो यही चाहता था।


मैंने तुरंत ही घर फोन करके बताया कि आज हम लोग नहीं आ पाएंगे।


मम्मी नाराज होने लगीं. लेकिन फिर भी उन्होंने खाने पीने की चिंता जताई. तो मैंने कहा- हम होटल से खाना मंगाकर खा लेंगे, आप लोग निश्चिन्त रहिये।


रात के दस बज चुके थे डाक्टर और नर्स भी अपने अपने घरों को जा चुके थे. अब सिर्फ एक वार्ड बॉय था जो यह कहकर सोने चला गया कि अगर कोई इमरजेंसी हो तो मुझे जगा लेना।


संयोग से उस दिन हॉस्पिटल में भीड़ बहुत ही कम थी।


हमारे रूम में सभी बेड खाली थे.


तो चाची ने मुझसे कहा- सूरज तुम किसी बेड पर सो जाओ और आराम करो।


मैंने कहा- चाची, आपको भी आराम करने की जरूरत है।


मोनिका चाची- तुम सो जाओ, अभी काव्य को एक दवा पिलानी है इसीलिए मैं जाग रही हूँ। मैंने कहा- चाची, मुझे भी नींद नहीं आ रही है।


और हम इधर उधर की बातें करने लगे।


जब से काव्य को बुखार हुआ था, तब से वह रो रहा था और उसने दूध भी नहीं पिया था। हॉस्पिटल आने बाद जब उसे थोड़ा सा आराम मिला तो वह सोने लगा।


डाक्टर ने काव्य को सोने के लिए कहा था इसलिए चाची उसे जगा भी नहीं सकती थीं।


काव्य को दूध पिलाये बहुत देर हो चुकी थी जिसकी वजह से चाची के स्तनों में दूध भर गया था। जिसका गीलापन ब्लाउज के ऊपर से ही दिख रहा था।


दूध भरा होने के कारण चाची भी कसमसा रही थीं।


कुछ देर के बाद चाची ने काव्य को उठाया और अपना ब्लाउज खोलकर मेरे सामने ही उसे दूध पिलाने लगीं।


थोड़े से ही दूध में काव्य का पेट भर गया तो उसने चाची का दूध मुंह से निकाल दिया।


अभी तो चाची का एक भी स्तन खाली नहीं हुआ था लेकिन भी चाची ने काव्य को दवा पिला कर सुला दिया।


मैं बेड पर लेटा हुआ सबकुछ देख रहा था।


जब चाची का स्तन भारी हो कर दूध बाहर टपकने लगा तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा- चाची, आपका दूध तो टपक रहा है। मोनिका चाची- हाँ, वो काव्य ने एक ही स्तन का थोड़ा सा दूध पिया है न इसीलिए दूसरे स्तन से दूध टपक रहा है। वैसे आजकल मेरे स्तनों पर कुछ ज्यादा ही ध्यान रहता है तुम्हारा?


मैंने धीरे से कहा- ध्यान तो मेरा रहता ही है लेकिन आप ही ध्यान नहीं देती हो। मोनिका चाची- क्या कहा? जरा जोर से बोलो मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया!


मैंने फिर से मुस्कुराते हुए कहा- कुछ नहीं चाची … मैं तो बस ऐसे ही … मोनिका चाची- आजकल कुछ ज्यादा ही शरारत करने लगे हो तुम! ठीक से रहा करो … वरना ठीक कर दूँगी तुम्हें!


मैंने कहा- एक बात पूछूँ चाची? “पूछो.” चाची ने कहा।


“क्या आपकी और बलराम भैया वाली बात सही थी? जो सब लोग कह रहे थे?” मैंने कहा।


मेरे अचानक से ऐसे प्रश्न पर चाची हड़बड़ा गयी और तुरंत सम्भलती हुई बोली- नहीं रे पागल … ऐसा कुछ भी नहीं है। वो तो तेरी मम्मी मुझे पसंद नहीं करती न इसीलिए मेरी बेइज्जती करने पर तुली रहती हैं। मैंने कहा- भला कोई माँ अपने बेटे की बेइज्जती क्यों करेगी? अगर उनको आपकी बेइज्जती करनी होती तो बलराम भैया की जगह किसी और लड़के का नाम लेती?


मेरे इस प्रश्न का चाची के पास कोई उत्तर न था। फिर भी उन्होंने कहा- अभी तू छोटा है ये सब नहीं समझेगा!


मैंने कहा- क्या बलराम भैया ने मेरा कोई संदेशा आपसे कहा था? मैंने अपनी चुदाई वाली बात कन्फर्म करने के लिए चाची से पूछा।


“नहीं तो? बलराम ने तो मुझसे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं कहा!” चाची ने कहा।


चाची के मुंह से ऐसी बात सुनकर मेरी झांट जल गयी।


मन ही मन बलराम को गाली देते हुए मैंने सोचा कि साले ने मलाई अकेले खाकर मुझे अच्छा पेलू बनाया। लेकिन मैं भी उससे कम नहीं हूँ। साले को ऐसा रास्ते से हटाऊंगा कि दोबारा चाची की चूत तो क्या चूची भी नहीं चूस पायेगा।


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