दीपा का प्रदीप – एक प्रेम कहानी- 2

प्रकाश पटेल

05-07-2023

18,003

लव किस सेक्स कहानी में पढ़ें कि काम करने वाली की जवान बेटी अपने मालिक की ओर आकर्षित हो गयी. दोनों प्रेम का पाठ पढ़ने लगे. दोनों ने अपना पहला चुम्बन, स्मूच कैसे किया?


दोस्तो, आप दीपा और प्रदीप के बीच प्रेम कहानी और उनकी सेक्स कहानी का आनन्द ले रहे थे. कहानी के पहले भाग काम वाली की जवान बेटी में अब तक आपने पढ़ा था कि प्रदीप और दीपा प्रजनन तंत्र के विषय को समझते हुए इतना ज्यादा गर्म हो गए थे कि एक दूसरे के साथ यौनानन्द में डूबने को आतुर हो गए.


अब आगे लव किस सेक्स कहानी:


प्रदीप ने दीपा के चेहरे को सहलाया. दीपा के कंठ के अन्दर से मादकता से भरी उहू की आवाज आई.


प्रदीप ने दीपा के गाल पर एक चुम्बन कर लिया. वह उसके चेहरे को देखने लगा.


दीपा ने प्रदीप के चेहरे पर हाथ फेर कर कहा- कितने प्यारे लगते हो तुम! प्रदीप ने चेहरा और नीचे किया.


दीपा ने अपने हाथों का हार उसके गले में डाल कर आलिंगन कर दिया. साथ ही उसने प्रदीप के कान में फुसफुसाते हुए कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ. प्रदीप ने कहा- पर हम शादी तो कर नहीं सकते!


‘मुझे भी कहां शादी करनी है आपसे. जब तक आप के साथ रहूंगी, प्यार करती रहूंगी. क्या आपको मंजूर है?’


प्रदीप ने उससे चिपके रह कर जवाब दिया- मैं ना कहूं तो क्या करोगी? ‘मैं कोशिश करती रहूंगी, हार मानना तो मैंने सीखा ही नहीं है.’


प्रदीप दीपा के बदन को सहलाने लगा. दोनों हाथ से उसके दोनों कंधों को सहलाया और धीरे धीरे हाथों के अग्र भाग को सहलाते सहलाते उसकी हथेलियों में अपनी हथेलियां रख दीं.


दीपा ने उसकी हथेलियों से अपनी हथेलियां लॉक कर लीं.


प्रदीप ने थोड़े ऊंचे होकर दीपा को देखा. उसकी आंखें बंद थीं.


प्रदीप बोला- देखो! उसने आंखें खोलीं.


प्रदीप ने अपने हाथ दीपा के होंठों के पास लिए और गर्मजोशी से एक चुम्बन कर लिया.


दीपा ने प्रदीप की नाईट शर्ट में हाथ डाल कर उसके सीने को सहलाया. प्रदीप को बहुत अच्छा लगा.


दीपा ने उसका शर्ट उंचा कर निकालना चाहा तो प्रदीप ने शर्ट को निकाल दिया.


तब दीपा ने प्रदीप के पूरे ऊपरी हिस्से के बदन को बहुत सहलाया.


प्रदीप ने अपने हाथ दीपा की गर्दन के नीचे डाल कर उसको अपने सीने से चिपका कर आलिंगन में ले लिया.


दीपा बोली- मेरा टॉप नहीं निकालना है क्या? प्रदीप- मुझे डर लगता है!


दीपा- कैसा डर … अपने घर में किसका डर? प्रदीप- तू कहीं पेट से हो गई तो?


‘मैं सेफ़ पीरियड में हूँ.’ प्रदीप- ओहो, ये सब भी सीख लिया है तुमने?


दीपा- क्या करें राजा … सीखना पड़ता है. झोपड़-पट्टी में रहते हैं, तो सब समझना पड़ता है. कौन जाने कब कौन चढ़ बैठे और खेल हो जाए? कौन कब उठाकर घर में बिठा ले. दूसरे दिन कौन सी गोली लेना है, ये सब जान लेना पड़ता है. हमारे यहां हर कुंवारी लड़की मनपसंद, मनभावन लड़के से सेक्स संबंध रखती है. मां बाप को पता होता है तो भी कुछ नहीं बोलते. हम दोनों को मां देख लेगी तो भी कुछ नहीं बोलेगी. शायद खुश रहेगी.


प्रदीप आंखें फाड़े दीपा के ज्ञान को समझने की कोशिश कर रहा था और दीपा अपनी ही रौ में कहे जा रही थी.


‘वह समझेगी कि अब मेरी लड़की सलामत रहेगी. हमारे इधर की हर कामवाली किसी न किसी की बाहरवाली होती है. एक तो ज्यादातर पति रात को दारू पीकर आते हैं और पत्नी से कुछ कर नहीं पाते हैं. तो पत्नी बाहर सैटिंग कर लेती हैं.’


‘फिर …’ प्रदीप के मुँह से निकला. ‘तो फिर कोई पैसे पाने के लिए भी संबंध कर लेती है. हालांकि हर औरत ऐसी नहीं होती है. जो शादी के पहले पति के लिए अपना अस्मत सलामत रखने की कोशिश करती है, उसका सलामत रहना मुश्किल है. वह जल्द ही हादसे का शिकार हो जाती है.’


प्रदीप- मुझे तेरी इसलिए भी फिक्र रहती है कि एक बार हम ये सब करने लगेंगे, तो तेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं लगेगा. सरकारी नौकरी के लिए तैयारियां करना आदि सब हवा में चला जाएगा. तेरी और तेरी मां की गरीबी दूर करने का मेरा सपना अधूरा रह जाएगा. इसमें दिल तो मेरा ही टूटेगा. दीपा- मैंने आपको वचन दिया है, वह मुझे याद है.


‘फिर ये प्यार?’ ‘आपका ये प्यार मिलेगा तो बिना पढ़ाई भी स्मार्ट हो जाऊंगी. मैं चाहती हूँ कि बहुत पढ़ाई करूं, पर इसके लिए ये प्यार जरूरी है.’ दीपा मुस्कुराती हुई अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी.


प्रदीप भी हंसते हुए उसके शर्ट के बाकी बटन खोलने लगा.


दीपा और प्रदीप एक दूसरे की आंख में झांक रहे थे. वह मंद मंद मुस्कराती हुई बहुत सुंदर लग रही थी.


प्रदीप ने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए. प्रदीप ने देखना चाहा कि वह कैसे चुम्बन करती है. मगर दीपा ने कुछ नहीं किया.


प्रदीप बटन खोल लेने के बाद अपने हाथ उसके सिर के पास लेकर उसके चेहरे को सहलाने लगा. अब प्रदीप का पूरा वजन दीपा के ऊपर था, उसे कम करना जरूरी था.


प्रदीप ने अपना वजन कोहनी के सहारे अपने हाथों पर ले लिया. अपने पांव से दीपा के दोनों पांवों के बीच में जगह बनाई.


प्रदीप ने अपने दोनों पांव उसके दोनों पांव के बीच में सैट किए और अपना वजन अपने हाथ और पांव पर ले लिया.


अब केवल कमर के नीचे का वजन ही दीपा की टांगों के बीच के हिस्से पर था.


दीपा एक मजबूत शरीर वाली लड़की हो गई थी, फ़िर भी एक पुरुष का वजन लगता तो है ही. प्रदीप ने उसे देखते हुए कहा- दीपा तुम बहुत सुंदर हो. मुझे बहुत पसंद हो. दीपा- इतने दिन में कभी बोला क्यों नहीं?


प्रदीप- मुझे जल्दी नहीं थी. दीपा- पर मुझे जल्दी थी.


प्रदीप- क्यों … क्या जल्दी थी? दीपा- मुझसे रहा नहीं जा रहा था.


प्रदीप- क्या होता था? दीपा- दिल में कुछ कुछ होता था.


प्रदीप- कब होता था? दीपा- जब तुम पास होते थे तब!


प्रदीप- वह तो मुझे भी होता था. ‘झूठे कहीं के.’


प्रदीप ने उसके गुलाबी गाल को चूम लिया और कहा- मुझे तो तुमको चूमने का बहुत मन करता था … और अभी अभी तो तेरे गोरे गाल कितने गुलाबी हो गए हैं.


दीपा- वह तो तुमने ही किए हैं. प्रदीप- मैंने … वह कैसे?


‘कितना अच्छा खाना खिलाते हो. आयरन की, विटामिन की गोलियां, ऊपर से दो टाइम दूध.’ प्रदीप- वह तो सब मां खिलाती है.


दीपा- हां, पर घर में हुकुम तो तुम्हारा चलता है. प्रदीप ने उसकी शर्ट को थोड़ा सा खोला और अन्दर चूमा.


दीपा ने शर्ट को पूरा खोल दिया और अपने बदन से खींच लिया.


उसकी ब्रा में बंधे छोटे स्तन बहुत ही सुंदर लग रहे थे. प्रदीप ने ब्रा के ऊपर से ही दोनों स्तन को सहलाया और ब्रा के इर्द-गिर्द बहुत चुम्बन कर लिए.


दीपा को जैसे बिजली ने उसके शरीर में एक सिहरन मचा दिया हो, वह ऐसे तड़प गई. उसने प्रदीप को अपने सीने से भींच लिया- क्या कर रहे हो प्रदीप … ऐसे तो मेरा जीना ही मुश्किल हो जाएगा.


प्रदीप ने अपना चेहरा उसकी ब्रा पर रख कर ही पूछा- क्या हुआ प्रिये? दीपा- ये पूछो कि क्या नहीं हो रहा है!


प्रदीप ने ब्रा खोलने के लिए उसको उठाया और हाथ नीचे डाले. दीपा बोली- रुको.


प्रदीप ने अपने हाथ निकाले और उसके ऊपर से हट गया पर उसके दो पांव के बीच ही रहे.


दीपा ने पहले शर्ट को निकाला, बाद में ब्रा को भी निकाल दिया. प्रदीप ने उसके हाथ से ब्रा लेकर उसे गौर से देखा.


साइज, पैडिंग वगैरह सब देख लिया. फिर उसने दीपा के स्तन पर बहुत ही प्यार और नजाकत से अपने हाथ से स्पर्श किया.


दीपा की सांस फूल गई और धीरे धीरे बढ़ने लगी.


प्रदीप ने उसे अपने पास खींचा और उसके लाल होंठों को चूसते हुए चुम्बन किया. दीपा प्रदीप के पास आकर उसको आलिंगन देने को तरस रही थी … या यूं कहा जाए कि वह अपने स्तनों को प्रदीप के चौड़े, मजबूत और कामदेव जैसे सीने से भींचना चाहती थी.


प्रदीप ने अपने पांव और उसके पांव ऐसे सैट किए कि उन दोनों के वक्ष एक दूसरे से चिपक गए. दोनों एक दूसरे की पीठ को सहलाने लगे.


दीपा तो आहें भरती हुई ऐसी आवाज निकाल रही थी मानो उसके कलेजे को ठंडक मिल गई हो.


प्रदीप स्वस्थ मर्द था और बहुत प्यार से पेश आ रहा था. वह दीपा को सुकून देने की पूरी कोशिश कर रहा था.


दीपा की हर सांस कहीं न कहीं प्रदीप का नाम बोलती थी या कोई न कोई ‘उहू अहा …’ जैसी आवाज निकालती थी.


प्रदीप ने उसे धीरे से नीचे लिटा दिया. प्रदीप उसके उरोजों को बड़े प्यार से और इत्मीनान से सहलाने लगा. दीपा के स्तन गोल थे और अभी अभी निकले हों … ऐसे थे.


प्रदीप ने उसके गले से चूमना शुरू किया और आगे बढ़ता गया. वह जैसे जैसे चुम्बन करते हुए दीपा के नीचे आता जा रहा था, वैसे वैसे वह सभी जगह को चूमने के साथ चाटता भी जा रहा था.


दीपा की आहें तेज होती गईं, आवाज ऊंची हो गई और सांसें लंबी हो गईं.


वह बार बार प्रदीप को कहीं से भी पकड़ लेती थी, फ़िर छोड़ देती थी. फ़िर से उसको स्पर्श करके महसूस करने की कोशिश करती थी.


थोड़ी देर के लिए वह आंखें खोलती थी, फ़िर मींच लेती थी. सही में वह आंखें मींच नहीं रही थी … भींच लेती थी.


प्रदीप चुम्बन करते करते उसकी नाभि तक पहुंच गया था. उसने नाभि पर अपने हाथ से सहलाने के साथ चुम्बन करना और चाटना चालू कर दिया. साथ में धीरे से उसकी स्कर्ट का हुक खोल दिया.


प्रदीप ने उसका स्कर्ट नीचे किया और वहां चुम्बन करने लगा, अपना दूसरा हाथ ऊपर की ओर किया और उसके स्तन पर अपनी हथेली से सहलाने लगा.


दो तरफ़ा प्यार का ये स्पंदन दीपा की बर्दाश्त से बाहर था. उसने कराह भरी और आनन्द के मारे बेहाल हो गई.


प्रदीप ने थोड़े नीचे जाकर उसका स्कर्ट पांव की ओर से खींच कर निकाल दिया. अब वह एक सुंदर पैंटी में सजी थी. सचमुच ही एक अच्छे स्कूल का प्रभाव दिखाई दे रहा था.


जरूर ही स्कूल की लड़कियां उसे बातचीत के माध्यम से ये सब सिखा देती होंगी. प्रदीप ने पैंटी पर हाथ फ़िराया.


वह सहमी सी दोनों पांव को ऊपर नीचे करने लगी. शायद वह दोनों पांव भींचना चाहती थी, पर प्रदीप बीच में बैठा था.


प्रदीप दीपा के त्रिकोण प्रदेश पर पैंटी सहित और उसके ऊपरी भाग पर चुम्बन कर रहा था.


त्रिकोण को सहलाते हुए उसकी पैंटी को साईड में करके उसकी योनि को देख लिया.


उसे लगा कि दीपा ने आज ही अपनी योनि को अच्छी तरह से साफ़ किया है. उसने पैंटी को जहां से पकड़ा था, वह पूरा भाग गीला था.


प्रदीप ने अपने अधखुले बाक्सर को नीचे सरकाते हुए पूरा निकाल दिया. वह रात को नीचे कुछ नहीं पहनता था.


प्रदीप ने दीपा की पैंटी को निकालना चाहा, पर रुक गया. वह धीरे धीरे चुम्बन करते करते पैंटी से लेकर ऊपरी त्रिकोण से नाभि तक बढ़ता और फिर स्तन को चुम्बन करके बहुत बार चाटने लगा था.


ऊपर बढ़ते हुए प्रदीप ने दीपा के सुंदर मुख को चूमते चूमते कहा- दीपा, तुम हर जगह से हर तरह से बहुत ही सुंदर हो. मेरी प्यारी दीपा रानी … मैं तुम्हें हमेशा बहुत प्यार दूंगा, बहुत प्यार करूंगा.


यह सुनते ही उसने प्रदीप को आलिंगन में लेकर बहुत जोर से भींच लिया. दीपा ने प्रदीप को चुम्बनों से तरबतर कर दिया.


प्रदीप ने एक बार उसके होंठों को चूमा और अपनी जीभ दीपा को मुँह में दे दी.


दीपा बड़े चाव से अपने प्रेमी की जीभ को चूसने लगी, उसको अपने मर्द की लार का रसास्वादन बहुत भाया.


थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ प्रदीप के मुँह में रख दी. प्रदीप ने भी दीपा की जीभ को बहुत चाव से चूसा और चूसते चूसते दीपा के पूरे बदन को बहुत सहलाया.


जैसे जैसे प्रदीप का हाथ दीपा के अंग उपांग को स्पर्श करता था, वैसे वैसे दीपा पूरी तरह से पिघल रही थी.


जब प्रदीप ने अपनी हथेली से दीपा की पैंटी पर से अन्दर को टटोला तो दीपा उत्तेजना के आनन्द से बड़े बड़े हुंकार करने लगी.


प्रदीप सब कुछ छोड़ कर सीधे ही नीचे पहुंच गया. दीपा की पैंटी को प्यार से धीरे धीरे नीचे की ओर खींचने लगा.


पांव में आते ही दीपा ने पैंटी को अपने से दूर कर दिया.


जब प्रदीप ने दीपा के त्रिकोण के सामने आकर अपना सिर नीचे किया तो देखा बहुत सारा रस अभी भी दीपा की योनि से बाहर आ रहा था. वक्त गंवाए बिना दीपा की योनि पर से वह रस को चाटने लगा.


दीपा ने अपने पांव चौड़े किए और प्रदीप के सिर पर हाथ फ़ेरने लगी. प्रदीप बहुत चाव और उत्कंठा से रसपान कर रहा था.


दीपा हर थोड़े समय पर अपने शरीर को ऊंचा करके अपने शरीर में आ रही सनसनाहट को अपने अन्दर ही समाने की कोशिश कर रही थी. साथ में प्रदीप कैसे क्या कर रहा है, वह ये भी देख लेती थी.


प्रदीप का उर्ध्व दंड उत्तेजना से बहुत ही बड़ा, कड़ा, चौड़ा और ऊंचा हो गया था.


एक ही झटके से प्रदीप दीपा के साथ उल्टे-पुल्टे (69) आसन में आ गया और अपना सुंदर और साफ़ दंड दीपा को मुँह में दे दिया.


दीपा ने उसे अपने हाथ में लेकर शिश्न मुंड के चिकने भाग को चाटने लगी. वह गोले को बराबर चाट लेने के बाद धीरे धीरे और अन्दर लेकर चूसने भी लगी.


इससे प्रदीप को भी आनन्द प्राप्त होने लगा.


प्रदीप 69 में था तो उसने भी दीपा के भगनासा को अपनी जीभ से टटोला और होंठों से पकड़ कर खींच दिया. इससे दीपा के जहन में एक ऐसी बिजली दौड़ी कि उसने प्रदीप के लिंग को अपने मुँह में पूरा घुसा लिया.


दीपा अपने प्रेमी के लिंग को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी.


प्रदीप भगनासा को धीरे धीरे चूमने और चूसने लगा. वह जीभ से थोड़ा कुरेदता, फिर थोड़ा सा चाटता और होंठों में भर कर खींच देता था.


जब दीपा सिहरती तो प्रदीप अपनी जीभ को उसकी योनि में अन्दर तक घुसा देता. वह उसकी टांगों को अच्छी तरह से चौड़ा करके अपनी जीभ को योनि के अंदरूनी भाग में घुसा कर फ़िराने लगता, फिर वापिस भगनासा को अपने मुँह में लेकर पिपरमेंट की तरह रगड़ने लगता था.


दीपा से ये सब सहन नहीं हो रहा था. वह भरपूर उत्तेजित हुई जा रही थी और अपना पूरा जोश प्रदीप के लिंग पर निकालने लगती थी. लिंग को कभी अन्दर गले तक लेकर वह चूसने लगती थी तो कभी बाहर निकाल कर होंठों से सुपारे को चूमती थी.


साथ ही कभी ऊपर नीचे करके लंड की मुठ मारने लगती थी. वह लिंग में आ रहे हर बदलाव को गौर से देखती थी और उसी हिसाब से चूमती, चूसती या चाटती थी.


प्रदीप ने धीरे धीरे योनि छेद को चौड़ा करके पहले खूब चाटा, चूमा और उस छेद में जीभ की नोक डालने की कोशिश करने लगा. दीपा ने अपने आप भी कभी इस भाग को छुआ तक नहीं था तो वह बहुत जल्द चरम सीमा पर पहुंच गई.


दीपा ने अपने शरीर पर से काबू खो दिया, उसकी योनि से रस की धारा बहने लगी थी. प्रदीप ने पूरा रस सीधे ही मुँह में लेकर गटक लिया.


दीपा का शरीर अकड़ने लगा था. प्रदीप का लिंग उसके गले में अटका था.


जब दीपा ने अपने पांव से प्रदीप के सिर को लॉक किया, प्रदीप ने अभी तक अपनी उत्तेजना पर जो काबू रखा था, उसे मुक्त कर दिया. वह दीपा का यौन रस गटक रहा था, उसी वक्त उससे भी न रहा गया और तभी वह भी अपने लिंग से रस धार बहाने लगा.


दोनों और से धाराएं बहनें लगी थी और दोनों आनन्द से तरबतर होकर उस रस का स्वाद ले रहे थे. रस पूर्ण स्खलित हो गया तो दोनों बेहोशी के मंजर में थे. दोनों ने एक दूसरे को टटोला.


प्रदीप उल्टा होकर सिरहाने की ओर गया और उसने अपनी रानी को आगोश में भर लिया.


एक दूसरे को बहुत चूमते सहलाते हुए लेटे रहे और कब उन दोनों की आंख लग गई, कुछ होश ही न रहा. जब आंख खुली तो पुन: एक दूसरे को चूमने लगे. एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे.


प्रदीप ने कहा- बहुत देर हो गई है … हम दोनों कम से कम दो घंटे से यहां हैं. तुम्हारी मां आती ही होगी दीपा, चलो हम फ़टाफ़ट तैयार हो जाते हैं. ‘पर अपना मिलन तो अधूरा है. मां कुछ न कहेगी.’


प्रदीप- अब तो ये सब होता ही रहेगा ना? उसकी इस बात पर दीपा मुस्कुरा दी.


उन दोनों ने कपड़े पहन लिए. पहनते पहनते भी बहुत पप्पियां झप्पियां होती रहीं.


दोनों एक दूसरे के बदन को निहारते थे और सराहना भी करते थे; शब्द से और नजर से भी.


आखिर एक दीर्घ चुम्बन के साथ एक दूसरे को चिपके हुए थे और बार एक दूसरे को बहुत प्यार देने के वादे कर रहे थे.


तभी दरवाजा जोर जोर से ठकठकाया गया. प्रदीप डाइनिंग टेबल की चेयर पर जा बैठा. दीपा ने जाकर दरवाजा खोला.


कमला भागती हुई आई और बोली- दीपा चलो जल्दी … वर्ना वह तेरा बाप नटु हम दोनों को मार देगा. वह नीचे ही खड़ा है.


दीपा बोली- देख ले मां, अब मैं ट्रेन के नीचे जा गिरूँगी, पर उसके साथ नहीं आऊंगी. वैसे भी अब मैं तुम्हारे लिए बोझ नहीं बनना चाहती हूँ. हां तुझको कभी भी मेरे साथ रहने आना है, तो आ सकती है. तुमने मुझे सच्ची बेटी से ज्यादा प्यार किया है ना? मैं तुझे सगी मां से ज्यादा रखूंगी.


‘वह सब कैसे मिलेगा मुझे? नटु मुझे मारने को बैठा है.’ ‘मां डर मत, चल मेरे साथ. मैं नीचे आती हूँ.’ ‘पहले सच में बता, तू उसके साथ जीना चाहती है या मेरे साथ रहना है?’


कमला- देख बेटा, अभी तक नटु मुझे अच्छे से रखता था. तू जवान हो गई, तब से उसकी नजर तेरे पर है और मार मुझे पड़ती है. बाकी पहले तुझे भी तो बेटा बेटा करता था. हां तू छोटी थी तब मुझे कहता था कि इसको कैसे भी निकाल कर उसकी मौसी, मामा कहीं पर छोड़ कर आओ.


दीपा चुप थी.


‘आज तू बड़ी हो गई है, मुझे बहुत अच्छा लगा. लगता है, साहब के भरोसे तू इतनी हिम्मत दिखा रही है. मुझे भी वह भरोसा रखने लायक लगते हैं. पर पंगा लेने से पहले उनसे सलाह मशविरा कर ले.’


दीपा ने प्रदीप की ओर देखा. प्रदीप, दोनों जहां खड़ी थीं, वहां पहुंचा.


कमला के पास जाकर उसके सिर पर हाथ रखा. प्रदीप ने कहा- मैं किसी भी पंगे से नहीं डरता. आप तो मुझसे बड़ी हैं. फ़िर भी आपको कहता हूँ कि दीपा की सभी बातें सच हैं. दीपा पर तुम्हारे नए पति का कोई हक नहीं बनता है. दीपा को आपने आपकी बहन से पालन पोषण करने के लिए लिया था. दत्तक लिया होता तो अब उसकी मां का भी अधिकार न होता, पर अभी तो उसकी मां का अधिकार है.


कमला प्रदीप को सवालिया नजरों से देख रही थी.


‘वैसे तुम और दीपा चाहो तो साथ रह सकती हो, पर एक दूसरे पर अधिकार नहीं कर सकती. तुम्हारे पति का तो कोई लेना देना ही नहीं है. दीपा का भविष्य उसको खुद को तय करने दो. तुम तुम्हारा निर्णय करो, पर हमें बता कर जाओ.’


‘मैं एक बार उसको सुधरने का चांस देना चाहती हूँ.”


‘ठीक है पर यह बात उसको आप नहीं, दीपा बताएगी. दीपा, तुम तुम्हारी सोच और निर्णय खुद बताना … तब तक मैं नटु के सामने नहीं आऊंगा. बाद में मैं भी उसे थोड़ा समझा सकता हूँ.’


यह सुनकर दीपा अपने हाथ में एक डंडा लेकर आगे बढ़ी. पीछे कमला थी. उसके पीछे प्रदीप थोड़ी दूरी बनाए आता रहा.


नीचे पहुंचने के पहले दीपा ने अपने बाल खोल लिए थे, हाथ से आंखें दबा दबा कर लाल कर ली और वह गुस्से में तो थी ही.


नीचे पहुंचते ही नटु का कॉलर पकड़कर घसीटा और अचानक छोड़ दिया. वह गिर गया पर उसे लगा नहीं.


दीपा ने गिरे हुए नटु को एक लात मारी- चल बे आगे बढ़ … मैदान में आ जा. इस डंडे से मत डर, ये तो मैं तुझे दे दूँगी, मेरी धुलाई करेगा ना … तब मैं तुझे देख लूँगी. नटु खुले में आ गया.


दीपा भी पहुंच गई. तब तक तो नटु डर गया था, सहम गया था. दीपा ने डंडा दूर रख दिया था.


‘चल आ जा, मेरे बाल पकड़ कर मुझे घसीट कर ले जा. उस दिन खींचा था ना? चूतिया बोलता था कि धंधा करवाऊँगा … खड़ा क्या है? आ जा, देख बाल भी खुले रखे हैं. तू बराबर पकड़ कर खींच सके इसलिए … आजा आ जा.’


नटु घबरा गया था.


दीपा अचानक उसके पास गई और बोली- देख, मैं बीस साल की जवान हो गयी हूँ. मेरी शादी हो जाएगी, तो मैं कभी तेरे मुँह पर थूकने के लिए भी नहीं आऊंगी. हां तू मेरे इर्द गिर्द गलती से भी मत आना. आज नीचे आई, तभी सोच लिया था कि आज तक तुमने मेरे को जितना पीटा है, सब वसूल करना था. पर मेरी मां के कारण वसूल नहीं कर रही हूँ. सुन ले दरुए.


नटु ने हाथ जोड़ लिए.


‘हां तू मर जाएगा या मेरी मां को निकाल देगा … या वह तेरे घर से निकलना चाहे, तो उसके लिए एक ही जगह है, मेरा घर. बाद में वह कभी तेरे साथ नहीं आयेगी. समझ लिया? और तेरे घर में उसको कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए, नहीं तो तेरे दिन भर जाएंगे.


“चल आ जा मेरी मां, तू खुद पूछ ले उसे, सब मंजूर है?”


प्रदीप कमला को लेकर आगे आया. नटु के पास पहुंच कर बोला- हम पहली बार मिले हैं.


प्रदीप ने हाथ मिलाने के लिए लम्बा किया, पर वह तो सीधे पांव में पड़ गया.


प्रदीप ने उसको खड़ा किया और बांहों में भरने के लिए हाथ खुले किए. पर नटु हाथ जोड़कर दूर खड़ा रहा.


वह बोला- सा’ब, पहले मैं लायक बन जाऊं … बाद में आप बाँहों में भर कर इस दीपा के जैसा मजबूत बना देना. सा’ब मुझे भी आप अपने पांवों में रख लो, थोड़े टाईम में भी इनके जैसा बनना चाहता हूं. प्रदीप- पहले दोनों से माफ़ी मांगो और दीपा ने जो शर्तें रखी हैं … उन्हें मंजूर करो, तो ही कमला नाम का फूल तेरे घर में खिलेगा. नहीं तो मेरे घर में तो बहुत काम है उसके लिए.


नटु ने दोनों से हाथ जोड़ कर माफी मांगी. उसने दीपा से कहा- एक बार मुझे दिल से माफ़ कर दे, आगे कोई गलती नहीं करूँगा.


कुछ ही देर में कमला अपना सामान लेकर नटु के साथ खड़ी थी और वे दोनों जाने लगे.


प्रदीप ने कहा- आपको ऐसे कैसे जाने देंगे … ससुराल जा रही हो, भूखे थोड़े ही जाने देंगे?


सब लोग घर में वापिस आये, खाना खाया. प्रदीप ने बात करते हुए बहुत प्यार से नटु को ये समझा दिया कि जमाना बदल गया है. कानून भी बदल गया है. अब की औरत पुरुष की गुलाम नहीं है. समान हक मिलने से वह ज्यादा हकदार हो गई है.


ये सब बातें सुनकर दीपा के मन में प्रदीप के प्रति प्यार बढ़ता ही जा रहा था.


उन दोनों के इस प्यार को आप लव किस सेक्स कहानी के अगले भाग में बिस्तर पर भी फलता फूलता देखेंगे, जब दीपा की योनि का छेदन प्रदीप के लिंग के द्वारा होगा. [email protected]


लव किस सेक्स कहानी का अगला भाग:


हिंदी सेक्स स्टोरीज

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ